उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा इस बार 7 जुलाई, रविवार से शुरू होगी। इस रथयात्रा से जुड़ी अनेक रोचक बातें हैं। आगे जानिए रथयात्रा से जुड़ी ऐसी ही रोचक बातें…
भगवान जगन्नाथ जिस रथ पर सवार होकर चलते हैं उसका नाम नंदीघोष है। इस रथ को गरुड़ध्वज और कपिध्वज भी कहा जाता है। इस रथ के सारथी का नाम दारूक है।
भगवान जगन्नाथ के रथ में 4 घोड़े होते हैं, जिनके नाम बलाहक, शंख, श्वेत व हरिदाश्व है। इसके रथ के रक्षक भगवान गरुड़ हैं। रथ पर हनुमानजी और नृसिंह का प्रतीक चिह्न भी होता है।
भगवान जगन्नाथ के रथ की ऊंचाई साढ़े 13 मीटर होती है। इस रथ में 16 पहिए होते हैं। रथ पर एक स्तंभ होता है, जिसे सुदर्शन स्तंभ कहते हैं। रथ की ध्वजा को त्रिलोक्यवाहिनी कहते हैं।
भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है। इस रथ को जिस रस्सी से खींचा जाता है उसका नाम शंखचूड़ है। इन रथों को बनाने में किसी भी धातु का उपयोग नहीं किया जाता।
रथयात्रा में श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलरामजी का रथ भी होता है। इस रथ का नाम तालध्वज है। इस पर महादेव का चिह्न होता है। रथ के रक्षक वासुदेव व सारथि का नाम मतालि है।
रथयात्रा में तीसरा रथ श्रीकृष्ण की बहन देवी सुभद्रा का होता है। इस रथ का नाम देवदलन है। इस रथ पर देवी दुर्गा का चिह्न होता है। रथ की रक्षक जयदुर्गा व सारथि अर्जुन होते हैं।
यात्रा में शामिल तीनों रथ के शिखर का रंग भिन्न होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ का शिखर लाल-हरा, बलराम के रथ का शिखर लाल-पीला व सुभद्रा के रथ का शिखर लाल-ग्रे रंग का होता है।