सार

Jagannath Rath Yatra 2024: हर साल उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा निकाली जाती है। इस रथयात्रा को देखने के लिए लाखों भक्त यहां आते हैं। इस रथयात्रा से जुड़ी कईं परंपराएं भी हैं।

 

Jagannath Rath Yatra 2024 Facts: इस बार उड़ीसा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा की शुरूआत 7 जुलाई, रविवार से हो रही है। 10 दिनों तक चलने वाली इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ 8 दिन गुंडिचा मंदिर में विश्राम करते हैं। इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ के रथ के अलावा उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा का रथ भी होता है, लेकिन पत्नी लक्ष्मी का रथ नहीं होता। इसके पीछे एक कथा प्रचलित है, जो इस प्रकार है…

इसलिए रथयात्रा में नहीं होता देवी लक्ष्मी का रथ
प्रचलित कथा के अनुसार, ‘एक बार भगवान श्रीकृष्ण जब अपनी पत्नी रुक्मणी के साथ सो रहे थे। तभी वे नींद में राधा का नाम लेने लगे। ये देखकर रुक्मिणीजी को बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने ये बात अन्य रानियों को बताई। इस बात का रहस्य जानने के लिए सभी रानियां माता रोहिणी के पास गईं।
माता रोहिणी ने कहा कि ‘मैं तुम्हें इस बात का रहस्य बताती हूं लेकिन इस बात का ध्यान रखना कि उस दौरान यहां कोई आना वहीं चाहिए।’ रानियों ने उनकी बात मान ली और दरवाजे पर निगरानी के लिए श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा को खड़ा कर दिया।
माता रोहिणी रानियों को श्रीकृष्ण-राधा की लीला सुना रही थी, तभी बलराम और श्रीकृष्ण उसी ओर आने लगे। सुभद्रा ने उन्हें रोकने का प्रयास किया लेकिन माता रोहिणी की आवाज बाहर तक आ रही थी। राधा के प्रेम की कथा सुनते-सुनते श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा इतने भावुक हो गए कि उनके शरीर गलने लगे।
तभी वहां से देवर्षि नारद गुजरे। श्रीकृष्ण, बलभद्र और सुभद्रा के इस रूप को देखकर वे अभिभूत हो गए। उन्होंने श्रीकृष्ण से कहा कि “मैंने जिस स्वरूप में अभी आपका दर्शन किया है, इसी रूप में आप तीनों कलयुग में अपने सभी भक्तों को दर्शन दें।’
भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी बात मान ली। इसलिए भगवान श्रीकृष्ण, बलभद्र और देवी सुभद्रा की सुंदर प्रतिमा न बनाकर उन्हें इस तरह बनाया जाता है कि वह थोड़ी गली हुई नजर आती हैं। इसी रूप में श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा रथयात्रा में भक्तों को दर्शन देते हैं और यही कारण है कि पत्नी रुक्मणी का रथ इस रथयात्रा में नहीं होता।


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