
Kaal Bhairav Jayanti 2025 Kab Hai: हिंदू पंचांग के नौवें महीने मार्गशीर्ष यानी अगहन के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बहुत खास होती है क्योंकि इसी दिन भगवान ने कालभैरव रूप में अवतार लिया था। इसलिए हर साल इस तिथि पर कालभैरव जयंती का पर्व मनाया जाता है, इसे कालभैरव अष्टमी भी कहते हैं। इस बार काल भैरव जयंती 12 नवंबर, बुधवार को मनाई जाएगी। जानें इस दिन कैसे करें भगवान काल भैरव की पूजा, कौन-सा मंत्र बोलें और शुभ मुहूर्त की डिटेल…
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वैसे तो कालभैरव अष्टमी पर पूजा निशित काल यानी रात में 12 बजे की जाती है, लेकिन भक्त अपनी सुविधा अनुसार, दिन में भी ये पूजा कर सकते हैं। जानिए कालभैरव अष्टमी पूजा के शुभ मुहूर्त…
- शुभ 10:48 से दोपहर 12:10 तक
- दोपहर 02:55 से शाम 04:17 तक
- शाम 04:17 से 05:39 तक
- रात 12:10 से 01:50 तक (निशित काल मुहूर्त)
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- 12 नवंबर, बुधवार की सुबह के बाद हाथ में जल, चावल और फूल लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें जैसे ज्यादा न बोलें, किसी की चुगली न करें। मन में गलत विचार न लाएं।
- ऊपर बताए किसी शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की तैयारी करें। शुभ मुहूर्त के शुरू होने पर घर में साफ स्थान पर लकड़ी की चौकी रख, इस पर लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर कालभैरव की मूर्ति-तस्वीर स्थापित करें।
- सबसे पहले भगवान को फूलों की माला अर्पित करें, फिर तिलक लगाएं और सरसों का तेल का दीपक जलाएं। अबीर, रोली, चावल, फूल, जनेऊ, रोली आदि चीजें एक-एक करके भगवान कालभैरव को चढ़ाते रहें।
- इसके बाद नारियल, मिठाई, पान, मदिरा आदि चीजें भी अर्पित करें। पूजा करते समय मन ही मन में ऊं कालभैरवाय नम: मंत्र का जाप करते रहें। पूजा के बाद भगवान कालभैरव की आरती भी करें।
- संभव हो तो बटुक भैरव कवच का पाठ भी करें और जरूरतमंदों को दान करें। इस तरह भगवान कालभैरव की पूजा करने से आपकी हर परेशानी दूर हो सकती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।