
Dhanteras 2025 Date: धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर हर साल धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। ये पांच दिनों तक चलने वाले दिवाली उत्सव का पहला दिन होता है। मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान धन्वंतरि समुद्र में से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। एक अन्य मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर कुबेरदेव को धनपति होने के वरदान मिला था। इसलिए इस दिन भगवान धन्वंतरि और कुबेरदेव की पूजा का विधान है। इस बार धनतेरस की डेट को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन की स्थिति बन रही है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानें क्या है धनतेरस की सही डेट…
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पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर, शनिवार की दोपहर 12 बजकर 19 मिनिट से शुरू होगी, जो 19 अक्टूबर, रविवार की दोपहर 01 बजकर 51 मिनिट तक रहेगी। चूंकि धनतेरस की पूजा शाम को प्रदोष काल में की जाती है और ये स्थिति 18 अक्टूबर, शनिवार को बन रही है, इसलिए इसी दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा।
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धनतेरस क्यों मनाते हैं? इससे अनेक कथाएं जुड़ी हुई हैं। सबसे प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार असुरों के साथ मिलकर देवताओं ने समुद्र मंथन किया, जिसमें से तरह-तरह के रत्न जैसे ऐरावत हाथी, कल्पवृक्ष, कौस्तुभ मणि, अप्सराएं और देवी लक्ष्मी आदि निकले। सबसे अंत में भगवान धन्वंतरि अमृत से भरा कलश लेकर प्रकट हुए। इस अमृत कलश को पाने के लिए असुरों और देवताओं में 12 सालों तक लगातार युद्ध होता रहा, लेकिन इसका कोई निर्णय नहीं निकला। बाद में भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लेकर छल से देवताओं को अमृत पिला दिया। अमृत पीकर देवता शक्तिशाली और अमर हो गए जिसके कारण असुर पराजित हो गए। जिन दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र से अमृत कलश लेकर निकले थे, उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी, तभी से इस तिथि पर धनतेरस का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है। इसलिए इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा विशेष रूप से की जाती है।
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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।