Dhanteras 2025: धनतेरस पर खरीदारी करना इतना शुभ क्यों है? पौराणिक कहानियों से जानिए वजह

Published : Oct 11, 2025, 09:29 PM IST
Dhanteras 2025

सार

धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है और दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे और इस दिन सोना, चाँदी, धातुएँ और नए बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।

Dhanteras Mythological Story: प्रकाश पर्व की शुरुआत का प्रतीक, धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सोना, चांदी और नए बर्तन खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि धनतेरस पर खरीदारी करने से घर में धन और सौभाग्य में तेरह गुना वृद्धि होती है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष धनतेरस का पावन पर्व शनिवार, 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस दिन खरीदारी करना इतना शुभ क्यों माना जाता है? इसके पीछे दो प्रमुख पौराणिक कथाएँ हैं, जो इस त्योहार के महत्व को और बढ़ाती हैं।

धनतेरस पर खरीदारी का महत्व, भगवान धन्वंतरि की कथा

समुद्र मंथन और अमृत कलश

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय देवताओं और राक्षसों ने अमृत प्राप्त करने के लिए क्षीर सागर का मंथन किया था। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को, समुद्र मंथन के दौरान, भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। जब वे प्रकट हुए, तो उनके हाथ में अमृत से भरा एक स्वर्ण/पीतल का कलश था। यह कलश धन और आरोग्य का प्रतीक था। चूंकि भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इस तिथि को "धन त्रयोदशी" कहा गया।

इस दिन कोई भी धातु या नई वस्तु (विशेषकर बर्तन और धातु) खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे घर में धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है और आर्थिक तंगी दूर होती है। पीतल के बर्तन खरीदना विशेष रूप से शुभ माना जाता है क्योंकि भगवान धन्वंतरि अपने हाथ में पीतल का कलश धारण करते थे।

धनतेरस पर सोना-चांदी खरीदने के पीछे एक और पौराणिक कथा

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने राजा बलि का अहंकार तोड़ने के लिए वामन अवतार लिया, तो उन्होंने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि ने दान देने का वचन दिया। भगवान वामन ने अपने पहले पग से पूरी पृथ्वी नाप ली। दूसरे पग से उन्होंने स्वर्ग लोक नाप लिया। जब तीसरे पग के लिए भी जगह नहीं बची, तो राजा बलि ने अपना सिर भगवान वामन के चरणों में रख दिया। इस प्रकार राजा बलि ने अपना सब कुछ दान में दे दिया। ऐसा माना जाता है कि देवताओं ने उनसे छीनी हुई संपत्ति कई गुना वापस पा ली। इस अवसर पर धनतेरस का त्योहार भी मनाया जाता है, जो धन वृद्धि का संदेश देता है।

Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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