Kaal Bhairav Jayanti 2025: कालभैरव जयंती कब, 11 या 12 नवंबर? जानें सही डेट

Published : Nov 06, 2025, 09:39 AM IST
Kaal Bhairav Jayanti 2025

सार

Kaal Bhairav Jayanti 2025: मार्गशीर्ष मास में कालभैरव जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान कालभैरव की विशेष पूजा की जाती है और प्रमुख भैरव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। ग्रंथों में भगवान कालभैरव से जुड़ी अनेक कथाएं पढ़ने को मिलती हैं।

Kaal Bhairav Ashtami 2025 Date: हिंदू पंचांग का नौवां महीना है मार्गशीर्ष, इसे अगहन के नाम से भी जाना जाता है। इस महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती का पर्व मनाया जाता है, इसे कालभैरव अष्टमी भी कहते हैं। इस दिन भगवान कालभैरव की विशेष पूजा की जाती है। कुछ स्थानों पर पालकी में बैठाकर भगवान कालभैरव की सवारी में निकालते हैं। इस दिन प्रमुख भैरव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। आगे जानिए क्यों मनाते हैं कालभैरव जयंती और साल 2025 में कब मनाया जाएगा ये पर्व…

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कब है कालभैरव जयंती 2025?

पंचांग के अनुसार, अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 11 नवंबर, मंगलवार की रात 11 बजकर 08 मिनिट से शुरू होगी जो 12 नवंबर, बुधवार की रात 10 बजकर 58 मिनिट तक रहेगी। चूंकि अष्टमी तिथि का सूर्योदय 12 नवंबर को होगा, इसलिए इसी दिन कालभैरव जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन शुक्ल और ब्रह्म नाम के 2 शुभ योग भी रहेंगे, जिससे इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है।

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क्यों मनाते हैं कालभैरव जयंती?

कालभैरव जयंती से जुड़ी कथा शिव महापुराण में मिलती है। उसके अनुसार, एक बार ब्रह्मदेव को ये अभिमान हो गया कि सभी देवताओं में वे प्रमुख हैं। जब ब्रह्मदेव ने वेदों से पूछा तो उन्होंने महादेव को परम तत्व बताया। लेकिन ब्रह्मदेव फिर भी ही स्वयं को ही श्रेष्ठ बताने लगे। तभी वहां एक भयंकर रूप वाला पुरुष प्रकट हुआ जो स्वयं महादेव का अंशावतार था। भीषण स्वरूप होने से वह भैरव कहलाया।
भैरव ने अंगुली से ब्रह्मा का पांचवां मस्तक काट दिया। इससे उनका अभिमान नष्ट हो गया। लेकिन ब्रह्मा का मस्तक कालभैरव के हाथ से चिपक गया और उन्हें ब्रह्महत्या का पाप भी लगा। इससे मुक्ति पाने के लिए कालभैरव काशी गए, वहां ब्रह्मदेव का मस्तक उनके साथ से अलग हो गया और इस तरह भैरव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिल गई। कालभैरव को महादेव ने काशी का कोतवाल बना दिया।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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