खरमास 2025, 16 दिसंबर से शुरू होकर 14 जनवरी 2026 को समाप्त होगा। इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने पर शुरू होने वाले खरमास के दौरान पूजा-पाठ, दान-पुण्य और तीर्थयात्रा का विशेष महत्व होता है।
Kharmas 2025: हिंदू धर्म में खरमास का महीना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवधि को बहुत अशुभ माना जाता है। खरमास के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। इस माह में शुभ और मांगलिक कार्य पूरी तरह से वर्जित होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरमास के दौरान किए गए शुभ कार्य सफल नहीं होते हैं और उनका पूरा फल नहीं मिलता है। तो आइए जानें इस साल खरमास कब शुरू और कब खत्म होगा।
खरमास कब शुरू और कब खत्म होगा?
खरमास तब शुरू होता है जब सूर्य बृहस्पति की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करता है। इस वर्ष सूर्य 16 दिसंबर को बृहस्पति की राशि धनु में प्रवेश कर रहा है। इसी दिन धनु संक्रांति मनाई जाएगी, जिससे खरमास का आरंभ होगा। खरमास 14 जनवरी, 2026 को समाप्त भी होगा।
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खरमास के दौरान शुभ कार्य वर्जित क्यों हैं?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करता है, तो उसकी ऊर्जा क्षीण हो जाती है। सूर्य को तेज और सफलता का सूचक माना जाता है। वहीं, बृहस्पति को शुभता और मांगलिक कार्यों का सूचक माना जाता है। धनु राशि का स्वामी बृहस्पति है। जब सूर्य इस राशि में प्रवेश करता है, तो सूर्य और बृहस्पति की युति बनती है, जिससे बृहस्पति की शुभता कुछ समय के लिए कमज़ोर हो जाती है। इसलिए, खरमास के दौरान नए और शुभ कार्यों की शुरुआत करना अशुभ माना जाता है।
खरमास के दौरान ये कार्य किए जाते हैं
खरमास के दौरान पूजा-पाठ, दान, तीर्थयात्रा और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। खरमास के दौरान पूजा-पाठ और प्रार्थना शुभ मानी जाती है।
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Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
