Muharram 2024: कर्बला की जंग में कौन हुआ था शहीद, क्यों निकालते हैं ताजिए?

Published : Jul 16, 2024, 03:47 PM IST
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सार

Muharram 2024: मुस्लिम कैलेंडर को हिजरी कहते हैं। इस महीने के पहले महीने का नाम मुहर्रम है। इस महीने के शुरूआती 10 दिन बहुत खास होते हैं। मुस्लिम समाज के लोग इन 10 दिनों को मातम के रूप में मनाते हैं। 

Muharram 2024 Kab Hai: इस्लाम में मुहर्रम का महीना बहुत खास माना गया है। इस महीने के शुरूआती 10 दिन मातम यानी दुख के होते हैं। इन 10 दिनों में मुस्लिम समाज के लोग हजरत इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं। मुहर्रम महीने के 10वें दिन ताजिया निकाले जाते हैं। इस बार 17 जुलाई, बुधवार को ताजिए का जुलूस निकाला जाएगा। इमाम हुसैन कौन थे, उनका कत्ल कितने किया था, ताजिए क्यों निकालते हैं आगे जानिए…

कौन थे इमाम हुसैन?
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे (बेटी के बेटे) थे। उस समय यजीद नाम का एक तानाशाह राजा था जो लोगों पर जुल्म कर अपनी सत्ता स्थापित करना चाहता था। यजीद इमाम हुसैन को भी अपने पक्ष में करना चाहता था, लेकिन उन्होंने यजीद की बात मानने से इंकार कर दिया।

किसने किया इमाम हुसैन का कत्ल?
जब इमाम हुसैन ने यजीद की बात नहीं मानी तो यजीद ने मुहर्रम महीने की 2 तारीख को कर्बला नाम की जगह पर इमाम हुसैन और उनके साथियों को घेर लिया। मुहर्रम की 10 तारीख को इमाम हुसैन के साथियों और यजीद के सेना में युद्ध हुआ। इस जंग में इमाम हुसैन अपने साथियों के साथ नेकी की राह पर चलते हुए शहीद हो गए।

क्यों निकाले जाते हैं ताजिए?
हर साल मुहर्रम महीने की दसवीं तारीख को मुस्लिम समाज के लोग एक जुलूस निकालते हैं। इस जुलूस में लकड़ी, बांस व रंग-बिरंगे कागज से सजे हुए मकबरे भी होते हैं, जिसे ताजिया कहते हैं। इन ताजियों को हजरत इमाम हुसैन के मकबरे का प्रतीक माना जाता है। मुहर्रम के जुलूस में लोग अपनी छाती पीटकर इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं।


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