Onam 2025: 5 या 6 सितंबर, कब है ओणम, क्यों मनाते हैं ये त्योहार?

Published : Sep 01, 2025, 03:58 PM IST
onam 2025

सार

Onam 2025 Date: ओणम दक्षिण भारत का सबसे प्रमुख त्योहार है। ये त्योहार लगातार 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान अनेक परंपराओं का पालन किया जाता है। ओणम की सबसे ज्यादा रौनक केरल में देखने को मिलती है।

Onam 2025 Kab Hai: हमारे देश के कईं राज्यों में स्थानीय परंपरा के अनुसार खास त्योहार मनाए जाते हैं, ओणम भी इनमें से एक है। वैसे तो ये त्योहार पूरे दक्षिण भारत में मनाया जाता है लेकिन केरल में ये पर्व पूरे 10 दिनों तक मनाया जाता है। 10 दिनों तक रोज किसी न किसी खास परंपरा का पालन किया जाता है। इस पर्व से जुड़ी कईं मान्यताएं भी हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं। आगे जानिए 2025 में कब है ओणम और क्यों मनाते हैं ये उत्सव?

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कब है ओणम 2025?

पंचांग के अनुसार, हर साल ओणम भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 5 सितंबर, शुक्रवार को है, इसलिए इसी दिन ये पर्व मनाया जाएगा। देश में जहां-जहां भी मलयाली एसोसिएशन हैं, वहां ये पर्व बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है।

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क्यों मनाते हैं ओणम?

प्रचलित कथा के अनुसार, पुरातन समय में दक्षिण भारत पर दैत्यों के राजा बलि का अधिकार था। राजा बलि एक महान यज्ञ कर स्वर्ग पर अधिकार करना चाहते थे। जब ये बात देवताओं को पता चली तो वे भगवान विष्णु के अवतार वामन के पास गए। भगवान वामन ने राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि ने उन्हें दान देना स्वीकार किया। जैसे ही बलि ने दान देने का संकल्प लिया वैसे ही भगवान वामन ने अपना शरीर बड़ा कर एक पग में धरती और दूसरे में आकाश नाप लिया। जब तीसरा पैर रखने की जगह न मिली तो राजा बलि ने अपना मस्तक आगे कर कहा ‘आप तीसरा पैर मेरे सिर पर रखिए।’ जैसे ही भगवान वामन ने राजा बलि पर तीसरा पग रखा तो वे सुतल लोक में चले गए। राजा बलि की दानवीरता देख भगवान वामन ने उन्हें वहां का राजा बना दिया। ऐसी मान्यता है कि राजा बलि साल में एक बार अपनी प्रजा का हाल जानने धरती पर आते हैं। उनके आने की खुशी में ही हर साल ओणम मनाया जाता है।

कैसे मनाते हैं ओणम?

ओणम 10 दिनों तक मनाया जाता है। इन 10 दिनों में लोग नए कपड़े, गहने आदि खरीदते हैं और अपने घर को सजाते हैं। महिलाएं अचार-पापड़ आदि बनाती हैं। ओणम के दौरान ही बोट रेस का आयोजन भी होता है, जिसे वल्लमकली कहते हैं। आठवें दिन भगवान वामन और राजा बलि की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर पूजा की जाती है। ओणम के अंतिम दिन को थिरुवोनम कहते हैं। इस दिन विशेष भोजन बनाया जाता है, जिसमें कईं तरह की चटनियां, मिठाई, सब्जियां आदि शामिल होती हैं।


 

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