Amarnath Yatra 2024: अमरनाथ गुफा में कैसे बनता है पवित्र शिवलिंग, क्या है अमर कबूतरों का रहस्य?

Amarnath Yatra 2024: हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है बाबा अमरनाथ की गुफा। हर साल इस गुफा में प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है, जिसके दर्शन के लिए यहां लाखों लोग आते हैं।

 

Manish Meharele | Published : Jun 21, 2024 9:43 AM IST

Amarnath Yatra Ka Rahasya: अमरनाथ हिंदुओं का एक पवित्र तीर्थ स्थान है। ये स्थान जम्मू-कश्मीर में हिमालय में स्थित एक पवित्र गुफा है, जहां हर साल प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है। इसके दर्शन के लिए पुलिस-प्रशासन के सहयोग से विशेष यात्रा निकाली जाती है, जिसे अमरनाथ यात्रा कहते हैं। ये यात्रा लगभग 50 दिनों तक चलती है, जिसमें लाखों लोग यहां दर्शन करने आते हैं। बर्फ से निर्माण होने के चलते इस शिवलिंग को बाबा बर्फानी भी कहते हैं। जानें इस बार कब शुरू होगी अमरनाथ यात्रा और इससे जुड़ी खास बातें…

कब से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा 2024? (Kab Se Shuru Hogi Amarnath Yatra 2024)
इस बार अमरनाथ तीर्थ यात्रा की शुरूआत 29 जून से हो रही है, जो 19 अगस्त तक चलेगी। यानी इस बार अमरनाथ तीर्थ यात्रा पूरे 52 दिनों तक की रहेगी। अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए आधिकारिक वेबसाइट https://jksasb.nic.in पर पंजीकरण करवाना आवश्यक है। ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए अपने शहर की नामित बैंक शाखा पर जाना पड़ेगा। मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से भी अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन हो सकता है।

कैसे बनता है बाबा अमरनाथ का पवित्र शिवलिंग?
बाबा अमरनाथ की गुफा जम्मू-कश्मीर के बर्फीले पहाड़ों से घिरी हुई है। गर्मी और बारिश के कुछ दिनों को छोड़कर यह गुफा बर्फ से ढंकी रहती है। यहां हर साल प्राकृतिक रूप से बर्फ का शिवलिंग बनता है। यह शिवलिंग चंद्रमा की रोशनी के साथ बढ़ता और धीरे-धीरे घटता जाता है। श्रावण पूर्णिमा पर ये शिवलिंग पूर्ण आकार में होता है और उसके बाद इसका आकार घट जाता है।

क्या है अमर कबूतरों का रहस्य?
ग्रंथों के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने शिवजी अमरता की कथा सुनाने को कहा। महादेव भी इसके लिए तैयार हो गए। इसके लिए महादेव ने एक ऐसी गुफा चुनी, जहां कोई और इस कथा को न सुन सके। अमरनाथ गुफा पहुंचने से पहले शिवजी ने नंदी, चंद्रमा, शेषनाग और गणेशजी को अलग-अलग स्थानों पर छोड़ दिया और एकांत में देवी पार्वती को अमरता की कथा सुनाई। लेकिन उस गुफा में छिपकर बैठे कबूतरों के जोड़े ने भी वो कथा सुन ली, जिससे वे भी अमर हो गए। लोगों का मानना है कि कबूतरों का ये जोड़ा आज भी वहां दिखाई देता है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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