Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ मंदिर में है रहस्यमयी ‘सोने का कुआं’, इसमें कितना सोना कोई नहीं जान पाया?

Jagannath Rath Yatra 2024: ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां हर साल आषाढ़ मास में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। इसके पहले यहां कईं विशेष परंपराएं निभाई जाती हैं।

 

Manish Meharele | Published : Jun 21, 2024 6:08 AM IST / Updated: Jul 10 2024, 10:21 AM IST

Interesting facts about Jagannath Temple: ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर से जुड़ी कईं अनोखी परंपराएं हैं, भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी इनमें से एक है। ये यात्रा हर साल आषाढ़ मास में निकाली जाती है। रथयात्रा की तैयारी कईं दिनों पहले से शुरू हो जाती है। सबसे पहले ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ को विशेष स्नान करवाया जाता है, जिसे देव स्नान कहते हैं। देव स्नान के लिए विशेष कुएं के जल का उपयोग करते हैं, जिसे सोने का कुआं कहते हैं। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…

कब है देव स्नान पूर्णिमा 2024? (Kab Hai Dev Snan Purnima 2024)
जगन्नाथ मंदिर की परंपरा के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की प्रतिमाओं को मंदिर से बाहर लाकर स्नान करवाया जाता है। इसे देव स्नान कहते हैं। चूंकि ये कार्य पूर्णिमा तिथि पर किया जाता है, इसलिए इसे देव स्नान पूर्णिमा कहते हैं। इस बार देव स्नान पूर्णिमा 22 जून, शनिवार को है। मान्यता है कि इसी दिन महाप्रभु जगन्नाथ प्रकट हुए थे।

Latest Videos

सोने के कुएं के पानी से करवाते हैं स्नान
जगन्नाथ मंदिर के प्रांगण में ही एक विशाल कुआं है। इसे सोने का कुआं कहा डाता है। पांड्य राजा इंद्रद्युम्न ने इस कुएं में सोने की ईंटें लगवाईं थीं, जो कि कुएं का ढक्कन खोलने पर दिखाई देती हैं। इस कुएं का ढक्कन करीब डेढ़ से दो टन वजनी है। ये कुआं विशेष मौकों पर ही खोला जाता है। इस कुएं के ढक्कन में एक छेद है, जिससे श्रद्धालु सोने की वस्तुएं इसमें डाल देते हैं। इस कुएं में कितना सोना है, ये आज तक कोई जान नहीं पाया है। देव स्नान पूर्णिमा पर इसी कुएं के पानी से भगवान जगन्नाथ को स्नान करवाया जाता है।

स्नान करने से बीमार हो जाते हैं भगवान
मान्यता है कि स्नान करने के बाद भगवान जगन्नाथ को बुखार आ जाता है, इसलिए वो अगले 15 दिन तक किसी को दर्शन नहीं देते हैं। इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद ही रहते हैं। भगवान का स्वास्थ्य ठीक करने के लिए उन्हें विशेष औषधि युक्त चीजों का भोग लगाया जाता है। रथ यात्रा से दो दिन पहले मंदिर का गर्भगृह खोला जाता है और विशेष परंपराएं पूरी करने के बाद ही भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू होती है।


ये भी पढ़ें-


Ambubachi Mela 2024: क्यों 3 दिनों तक बंद रहेगा कामाख्या मंदिर, क्यों लगता है अंबुबाची मेला?


Banke Bihari Temple Fact: मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में क्यों नहीं है घंटी-बिना ताली बजाए क्यों करते हैं आरती?


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

शर्म नहीं आती, बाहर आओ...जबरदस्त एक्शन में IAS टीना डाबी-वीडियो वायरल
J&K में अमित शाह ने विपक्ष को धो डाला, कहा- '40 हजार हत्याओं के जिम्मेदार हैं 2 लोग'
हॉस्टल में बलिः स्कूल को चमकाने के लिए 3 टीचरों ने छीना एक मां का लाल
'जीजा ये पकड़ 60 हजार... नहीं बचना चाहिए मेरा पति' पत्नी ने क्यों दी पति की सुपारी, खौफनाक है सच
इन 5 वजहों से हर कोई दशहरा-दिवाली पर खरीदता है सोना