सार
Banke Bihari Temple Rare Fact: मथुरा का बांके बिहारी मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां की कुछ परंपराएं भी अन्य मंदिरों से काफी अलग है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस मंदिर में घंटी ही नहीं है।
Banke Bihari Mandir Mai Ghanti Kyo Nahi Hai: वैसे तो हमारे देश में भगवान श्रीकृष्ण के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में मथुरा का बांके बिहारी मंदिर का स्थान काफी विशेष है। इस मंदिर को लेकर कईं सारी मान्यताएं प्रचलित हैं। इस मंदिर से जुड़ी कुछ विशेष परंपराएं भी इसे खास बनाती हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि बांके बिहारी मंदिर में घंटी नहीं है, जो आमतौर पर सभी मंदिरों में होती है। यहां तक कि यहां आरती करते समय ताली भी नहीं बजाई जाती। आगे जानें इन परंपराओं के पीछे छिपे कारण…
स्वामी हरिदास ने अपनी साधना से प्रकट किया था भगवान को
मान्यता है कि किसी समय स्वामी हरिदास मथुरा के तुलसी वन में रहते थे। उन्होंने अपनी साधना के बल से भगवान बांके बिहारी को प्रकट किया था। स्वामी हरिदास अपने बालक के रूप में बांके बिहारी को लाड़-प्यार करते थे। छोटे बालक को किसी तरह का कष्ट न हो इसके लिए वे न तो यहां घंटी बजाते थे और न ही आरती करते समय ताली बजाते थे।
इसलिए मंदिर में नहीं घंटी
स्वामी हरिदास जिस तरह बालक के रूप में बांके बिहारी की आराधना करते थे, उसी रूप में आज भी एक बालक के रूप में उनका ध्यान रखा जाता है। ज्यादा तेज आवाज के कारण छोटे बच्चे डर जाते हैं या उन्हें परेशानी होती है, इसलिए बांके बिहारी मंदिर में घंटी नहीं है और न ही यहां आरती करते समय ताली बजाई जाती है।
दिन में कितनी बार होती है आरती
भगवान बांके बिहारी के मंदिर में रोज तीन बार आरती की जाती हैं। पहली आरती सुबह श्रृंगार के बाद, दूसरी दोपहर में विश्राम के बाद राजभोग आरती और तीसरी रात को शयन के समय शयन आरती करने की परंपरा है। इसके अलावा वर्ष में एक बार यहां जन्माष्टमी के अवसर पर मंगला आरती भी होती है। खास बात ये है कि इस दौरान भक्त आरती का गायन ही करते हैं, ताली, घंटी, करताल आदि कोई भी नहीं बजाता।
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