सार

Angarak Chaturthi June 2024 Kab Hai: धर्म ग्रंथों के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र में भी अंगारक चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार जून 2024 में अंगारक चतुर्थी का संयोग बन रहा है।

 

Angarak Chaturthi 2024 Puja Vidhi: धर्म ग्रंथों के अनुसार, चतुर्थी तिथि के देवता भगवान भगवान श्रीगणेश हैं। हर महीने के दोनों पक्षों की चतुर्थी तिथि को इनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है। जब किसी चतुर्थी तिथि का संयोग मंगलवार से होता है तो इसे अंगारक चतुर्थी कहते हैं। साल में एक या दो बार ही अंगारक चतुर्थी का संयोग बनता है। इस बार ये संयोग जून 2024 में बन रहा है। आगे जानिए जून 2024 में अंगारक चतुर्थी कब है…

कब बनता है अंगारक चतुर्थी का संयोग?
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, 25 जून, मंगलवार को आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का संयोग बन रहा है। मंगलवार को चतुर्थी तिथि होने से ये अंगारक चतुर्थी कहलाएगी। अंगारक चतुर्थी पर भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ मंगलदेव की पूजा का भी विधान है। इससे मंगल ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं।

अंगारक चतुर्थी जून 2024 शुभ योग-मुहूर्त
25 जून को मिथुन राशि में सूर्य और बुध एक साथ रहेंगे, जिससे बुधादित्य नाम का शुभ योग बनेगा। इस दिन सुबह-सुबह कुछ देर के लिए सर्वार्थसिद्धि नाम का शुभ योग भी रहेगा, जिसका प्रभाव पूरे दिन माना जाएगा। इस दिन चंद्रोदय रात 10.14 पर होगा। अलग-अलग स्थानों पर इसके समय में भिन्नता आ सकती है।

इस विधि से करें अंगारक चतुर्थी व्रत-पूजा (Angarak Chaturthi June 2024 Puja Vidhi)
- 25 जून, मंगलवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। घर की साफ-सफाई कर एक स्थान पूजा के लिए नियत करें। यहां गंगाजल या गोमूत्र छिड़ककर उसे पवित्र करें।
- शुभ मुहूर्त में इस स्थान पर बाजोट यानी पटिया रखकर भगवान श्रीगणेश का चित्र स्थापित करें। भगवान को फूलों की माला पहनाएं, तिलक भी लगाएं। इसके बाद शुद्ध घी का दीपक भी जलाएं।
- इसके बाद दूर्वा, अबीर, गुलाल, चावल रोली, हल्दी आदि चीजें एक-एक करके भगवान को चढ़ाते रहें। पूजा करते समय ऊं गं गणेशाय नम: मंत्र का जाप करें और लड्डू का भोग लगाएं।
- इस तरह पूजा संपन्न होने के बाद भगवान श्रीगणेश की आरती करें। चंद्रमा उदय होने पर जल से अर्ध्य दें और फिर स्वयं भोजन करें। इसे व्रत से आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।

भगवान श्रीगणेश की आरती (Lord Ganesha Aarti)
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

 

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