khatu mela 2023: कब से शुरू होगा खाटूश्यामजी का लक्खी मेला, भक्तों को कौन-कौन सी सुविधाएं मिलेंगी?

Published : Feb 08, 2023, 10:27 AM IST
khatushyam mandir

सार

राजस्थान (Rajasthan) के सीकर (Sikar) जिले के खाटू कस्बे में स्थित खाटूश्यामजी (Lord Khatushyam) मंदिर का लक्खी मेला (Lakkhi Mela 2023) इस बार 22 फरवरी से शुरू होकर होली तक चलेगा। इसे खाटू फाल्गुन मेला भी कहते हैं। 

उज्जैन. खाटूश्याम मंदिर समिति ने खाटू मेला 2023 (Khatu Mela 2023) को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस मेले में लाखों भक्तों के आने का अनुमान है। यह राजस्थान के सबसे बडे़ मेलों में से एक है। इसे लक्खी मेला भी कहते हैं। इस बार इस मेले की शुरूआत 22 फरवरी से हो रही है, जो 4 मार्च तक चलेगा। इस दौरान देश-दुनिया से श्याम बाबा के भक्त यहां दर्शन करने आएंगे। मेले में आने वाले श्रृद्धालुओं को कुछ बातों का ध्यान रखना होगा। आगे जानिए खाटू मेले से जुड़ी खास बातें…

कौन हैं भगवान खाटूश्याम?
महाभारत के अनुसार, भगवान खाटूश्याम पराक्रमी घटोत्कच के पुत्र थे। उनका मूल नाम बर्बरीक था। जब पांडवों और कौरवों के बीच युद्ध होने वाला था, उस समय बर्बरीक भी युद्ध के लिए वहां आए। उन्होंने प्रण किया था कि वे कमजोर पक्ष की ओर से युद्ध करेंगे। तब श्रीकृष्ण ने सोचा कि यदि बर्बरीक ने कौरव पक्ष से युद्ध किया तो पांडवों की हार निश्चित है। तब उन्होंने ब्राहमण बनकर बर्बरीक से उनका शीश दान में मांग लिया। बर्बरीक ने हंसते-हंसते अपना शीश काटकर श्रीकृष्ण को दे दिया। तब श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलयुग में तुम्हारी पूजा मेरे नाम से होगी। इसलिए बर्बरीक को श्याम के नाम से पूजा जाता है।

खाटू मेले में रखें इन बातों का ध्यान…
1. मंदिर समिति के अनुसार, इस बार भक्त बाबा के निशान (झंडे) को मंदिर तक नहीं ले जा सकेंगे। लखदातार मैदान के पास ही सभी निशान यानी झंडे एकत्रित करने की व्यवस्था की गई है।
2. कतार में खड़े भक्तों को पीने का पानी वहीं पर उपलब्ध करवाया जाएगा। उन्हें लाइन से निकलने की जरूरत नहीं पड़ेगी। मेला क्षेत्र की व्यवस्थाओं की जानकारी माइक के जरिए भक्तों को दी जाती रहेंगी।
3. मेले में भंडारा लगाने के लिए प्रशासनिक अनुमति लेना अनिवार्य होगी। मेले के दौरान होने वाले अन्य कार्यक्रमों जैसे भजन, जागरण आदि के लिए भी मजिस्ट्रेट की ओर से जारी दिशा-निर्देशों की पालन करना आवश्यक होगा।
4. मुख्य मेला मैदान से 75 फीट लंबी 14 लाइनों से गुजर कर भक्तजन बाबा के दरबार में पहुंच सकेंगे। मंदिर के अंदर भी कतारों में नई 16 लाइनें बनाई गई हैं।
5. मंदिर में श्रद्धालुओं का दबाव न बढ़ें, इसलिए 8 अलग निकासी मार्ग तैयार किए गए हैं। जिसके चलते गर्भगृह के सामने भीड़ जमा नहीं होगी। मंदिर चौक के बाहर पूछताछ केंद्र बनाया गया है, जिससे श्रद्धालुओं की पूरी जानकारी मिल सकेगी।


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