राहुल और प्रियंका गांधी ने किए मां खीर भवानी के दर्शन, इस मंदिर का कुंड पहले ही दे देता है अनहोनी का संकेत

Kheer Bhavani Temple: राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के तुलमुला में स्थित खीर भवानी मंदिर में दर्शन किए। ये मंदिर जम्मू-कश्मीर के प्रमुख मंदिरों में मे से एक है।

 

Manish Meharele | Published : Jan 31, 2023 7:42 AM IST

उज्जैन. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा (Congress's Bharat Jodo Yatra) के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर ((Jammu and Kashmir) के प्रसिद्ध खीर भवानी मंदिर (Kheer Bhavani Temple) में दर्शन किए। ये मंदिर अपनी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, जो तुलमुला में स्थित है। राहुल गांधी पहले भी कई बार इस मंदिर में दर्शन के लिए आ चुके हैं। इस मंदिर में एक कुंड भी है, जो काफी प्राचीन बताया जाता है। आगे जानिए क्यों खास है ये मंदिर और कुंड…


राम-रावण से जुड़ी है इस मंदिर की कथा
पौराणिक कथाओं की मानें तो रावण खीर भवानी जिन्हें राग्यानी देवी भी कहते हैं, परम भक्त था। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर माता ने उसे दर्शन दिए थे। रावण ने इन्हें अपनी कुलदेवी मानकर लंका में इनका मंदिर बनवाया था। जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर दिया तो देवी ने वो स्थान छोड़ दिया और जम्मू-कश्मीर के तुलमुला नामक स्थान पर आकर बस गई। तभी से वे यही स्थित है। बाद में श्रीराम ने मां राज्ञा को रागिनी कुंड में स्थापित किया। वर्तमान में यहां जो मंदिर दिखाई देता है, उसका निर्माण 1912 में महाराजा प्रताप सिंह ने कराया था। बाद में महाराजा हरी सिंह ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया।


ये है कुंड से जुड़ी मान्यता
मां खीर भवानी के मंदिर में एक प्राचीन कुंड है, जिसे रागिनी कुंड कहते हैं। कुंड के बीचों-बीच मां खीर भवानी की प्रतिमा स्थापित है। इस कुंड के बारे में कई मान्यताएं प्रचलित हैं। कहते हैं कि जब भी इस क्षेत्र में कोई मुसीबत आने वाली होती है, इस कुंड के पानी का रंग बदल जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब कारगिल युद्ध हुआ तो इसके कुछ दिन पहले ही इस कुंड का पानी लाल हो गया था।


खीर का लगाते हैं भोग
मंदिर में देवी को खीर का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है, इसलिए इसे खीर भवानी मंदिर कहा जाता है। ज्येष्ठ मास की अष्टमी तिथि का यहां मेले का आयोजन होता है। स्थानीय लोगों को इस मेले का बेसब्री से इंतजार रहता है। विदेशों में बसे कश्मीरी पंडित भी इस मेले में शामिल होने के लिए यहां पहुंचते हैं। सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम समाज के लोग भी इस मंदिर में सजदा करते हैं।


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