Published : Oct 17, 2025, 02:47 PM ISTUpdated : Oct 17, 2025, 03:41 PM IST
Diwali 2025: हर साल कार्तिक मास की अमावस्या पर दीपावली मनाई जाती है। ये हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। दिवाली क्यों मनाते हैं, इसके पीछे कईं कथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं जो इसे और भी खास बनती हैं।
Kyo Manate Hai Diwali: हर साल कार्तिक मास की अमावस्या पर दिवाली पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। दिवाली पर मुख्य रूप से देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस पर्व में दीपक जलाकर पूरे घर को सजाया जाता है। घरों का रंग-रोशन किया जाता है। तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं? इस पर्व से जुड़ी अनेक प्रचलित कथाएं हैं। इनमें से कुछ के बारे में आमजन नहीं जानते। आगे जानें दिवाली बनाने से जुड़ी कथाएं…
अयोध्या मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने जब राक्षसों के राजा रावण का वध किया तो जब अयोध्या लौट रहे थे, उस दिन कार्तिक अमावस्या थी। अयोध्यावासियों ने सोचा कि अमावस्या की रात में कहीं श्रीराम कहीं रास्ता न भटक जाएं। इसलिए उन्होंने पूरे नगर को दीपकों से सजा दिया, ताकि श्रीराम समझ जाएं कि यहीं अयोध्या नगरी है। तभी से दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है।
दिवाली मनाने के पीछे दूसरी कथा जो सबसे ज्यादा प्रचलित है, वो ये है कि जब देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो उसमें से अनेक रत्न निकले। देवी लक्ष्मी भी समुद्र मंथन से प्रकट हुई, तब सभी देवताओं ने उनकी विधि-विधान से पूजा की। तभी कार्तिक अमावस्या पर लक्ष्मी पूजा की परंपरा शुरू हुई।
46
यमराज ने बताया था जीवन-मृत्यु का रहस्य
कंठोपनिषद की कथा के अनुसार नचिकेता नाम का एक ब्राह्मण बालक जीवन-मृत्यु के रहस्य को जानने यमलोक तक पहुंच गया। वहां पहले तो यमराज ने उसे इस रहस्य को बताने से इंकार कर दिया और नचिकेता के ज्ञान से प्रभावित होकर मृत्यु के गूढ़ रहस्य को समझाया। जीवनृ-मृत्यु के इस रहस्य को जिस दिन यमराज ने बताया था, उस दिन कार्तिक अमावस्या थी, तभी ये दिवाली उत्सव मनाया जा रहा है।
56
नरकासुर की मृत्यु का उत्सव है दिवाली
द्वापरयुग में नरकासुर नाम का एक राक्षस था। उसने 16 हजार महिलाओं का अपहरण कर कैद कर लिया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर का वध किया और उन महिलाओं को कैद से आजाद कर दिया। इसके दूसरे दिन सभी लोगों ने दीपक जलाकर उत्सव मनाया। तभी से दिवाली पर्व मनाया जा रहा है।
66
इसलिए करते हैं देवी लक्ष्मी की पूजा
एक समय सनतकुमारों ने ऋषियों से भरी सभा में कहा कि ‘कार्तिक अमावस्या पर सभी को देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।‘ जब मुनियों ने इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया ‘एक बार दैत्यों के राजा राजा बलि के कारागार में देवी लक्ष्मी समस्त देवी देवताओं के साथ बंधन में थीं। तब कार्तिक अमावस्या पर भगवान विष्णु ने उन्हें बंधन मुक्त करवाया था। इसलिए इस तिथि पर देवी लक्ष्मी की पूजा से सुख-समृद्धि सभी प्राप्त होते हैं।’
Disclaimer इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।