Mahabharat Facts: स्वर्ग की यात्रा से पहले पांडवों ने क्या किया, रास्ते में क्या-क्या हुआ, क्यों युधिष्ठिर को नर्क देखना पड़ा?

Mahabharat Facts: महाभारत के अनुसार, श्रीकृष्ण की मृत्यु के बाद पांडव स्वर्ग की यात्रा पर निकले। रास्ते में कई अजीब घटनाएं हुई।अंत में सिर्फ युधिष्ठिर ही स्वर्ग पहुंच सके, लेकिन उन्हें भी थोड़ी देर के लिए नरक देखना पड़ा।

 

Manish Meharele | Published : Jan 30, 2023 10:11 AM IST
17
कैसे शुरू हुई पांडवों की स्वर्ग यात्रा?

महाभारत (Mahabharat Facts) की कथा जितनी रोचक है, उतनी ही रहस्यमयी भी है। पांडवों की स्वर्ग यात्रा के बारे में कई लोग जानते हैं, लेकिन यात्रा के दौरान क्या-क्या हुआ और अंत में कौन स्वर्ग में पहुंचा, ये बात बहुत कम लोग जानते हैं। युधिष्ठिर स्वर्ग पहुंच तो गए लेकिन थोड़ी देर के लिए उन्हें नर्क भी देखना पड़ा, ऐसा क्यों हुआ? इसके बारे में भी कम ही लोगों को पता है। आज हम आपको पांडवों की स्वर्ग यात्रा के जुड़ी हर बात बता रहे हैं, जो आप जानना चाहते हैं। आगे जानिए कैसे शुरू हुई पांडवों की स्वर्ग की यात्रा…
 

27
किसने कहने पर पांडवों ने शुरू की स्वर्ग की यात्रा?

महाभारत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु के बाद एक दिन पांडव महर्षि वेदव्यास से मिलने गए। महर्षि वेदव्यास ने उनसे कहा कि अब तुम्हें अपना राज-पाठ छोड़कर स्वर्ग की यात्रा पर जाना चाहिए। महर्षि की बात मानकर सबसे पहले युधिष्ठिर ने परीक्षित का राज्याभिषेक कर दिया और युयुत्सु (धृतराष्ट्र का अंतिम पुत्र) को उसका संरक्षक बनाया। इसके बाद पांडव द्रौपदी को लेकर उत्तर दिशा की ओर से यात्रा आरंभ की। एक कुत्ता भी उनके साथ-साथ चलने लगा। 
 

37
क्या हुआ यात्रा के दौरान?

पांचों पांडव, द्रौपदी तथा वह कुत्ता जब सुमेरु पर्वत पर चढ़ रहे थे, तभी द्रौपदी गिर पड़ी। द्रौपदी को गिरा देख भीम ने युधिष्ठिर से पूछा कि “द्रौपदी ने कभी कोई पाप नहीं किया। तो फिर वह नीचे क्यों गिर पड़ी? युधिष्ठिर ने कहा कि “द्रौपदी हम सभी में अर्जुन को अधिक प्रेम करती थीं। इसलिए उसके साथ ऐसा हुआ है।” 
द्रौपदी के देर बाद सहदेव भी गिर पड़े। भीम ने जब इसका कारण युधिष्ठिर से पूछा तो उन्होंने बताया कि “सहदेव किसी को अपने जैसा विद्वान नहीं समझता था, इसी दोष के कारण इसे आज गिरना पड़ा है।”
 

47
ऐसे हुई अर्जुन, भीम और नकुल की मृत्यु

इसके बाद नकुल भी गिर पड़े। भीम ने जब युधिष्ठिर से इसका कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि “नकुल को अपने रूप पर बहुत अभिमान था। इसलिए आज इसकी यह गति हुई है।” यही हाल अर्जुन का भी हुआ। तब युधिष्ठिर ने बताया कि “अर्जुन को अपने पराक्रम पर बहुत अभिमान था। इसलिए आज इसकी ये गति हुई है। कुछ देर बाद भीम भी गिर पडे़। जब भी ने युधिष्ठिर से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि “ तुम खाते बहुत थे और अपने बल का झूठा प्रदर्शन करते थे। इसलिए तुम्हें आज भूमि पर गिरना पड़ा है। यह कहकर युधिष्ठिर आगे चल दिए। केवल वह कुत्ता ही उनके साथ चलता रहा।
 

57
सशरीर स्वर्ग गए थे युधिष्ठिर

कुछ देर बाद स्वयं देवराज इंद्र अपना रथ लेकर युधिष्ठिर को स्वर्ग ले जाने के लिए आए। तब युधिष्ठिर ने इंद्र से कहा कि “मेरे भाई और द्रौपदी मार्ग में ही गिर पड़े हैं। उन्हें भी स्वर्ग ले चलिए।” इंद्र ने कहा कि “ वे पहले ही शरीर त्याग तक स्वर्ग पहुंच चुके हैं, आप सशरीर स्वर्ग में जाएंगे।” युधिष्ठिर ने अपने साथ चल रहे कुत्ते को भी स्वर्ग ले जाने की बात कही, लेकिन देवराज इंद्र ने ऐसा करने से मना कर दिया। तभी चमत्कार हुआ और वह कुत्ता यमराज यानी अपने वास्तविक स्वरूप में आ गया। प्रसन्न होकर देवराज इंद्र युधिष्ठिर को अपने रथ में बैठाकर सशरीर स्वर्ग ले गए।
 

67
जब युधिष्ठिर ने लिया नर्क में रहने का निर्णय?

युधिष्ठिर जब स्वर्ग पहुंचें तो वहां उन्हें अपने भाई दिखाई नहीं दिए। तब युधिष्ठिर ने कहा कि ”जहां मेरे भाई हैं, मुझे उसी स्थान पर जाना है।” देवराज इंद्र के कहने पर एक देवदूत युधिष्ठिर को एक ऐसी जगह ले गया जहां काफी दुर्गंध थी और दुखी लोगों की आवाजें सुनाई दे रही थी। जब युधिष्ठिर ने उनसे परिचय पूछा तो उन्होंने स्वयं को भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव और द्रौपदी बताया। अपने भाइयों की ऐसी हालत देख युधिष्ठिर ने उसी दुर्गम स्थान पर रहने का निश्चय किया।
 

77
क्यों देखना पड़ा युधिष्ठिर को नर्क?

जब देवदूत ने यह बात जाकर देवराज इंद्र को बताई तो वे स्वयं वहा आए। ऐसा होते ही वो स्थान सुंगधित हो गया और वहां प्रकाश फैल गया। देवराज इंद्र ने युधिष्ठिर को बताया कि तुमने छल से गुरु द्रोणाचार्य को उनके पुत्र की मृत्यु का विश्वास दिलाया था, इसलिए तुम्हें थोड़ी देर के लिए नरक देखना पड़ा। इसके बाद देवराज इंद्र ने युधिष्ठिर ने देवनदी में स्नान करवाया, जिससे उन्होंने मानव शरीर का त्याग कर दिया और एक दिव्य शरीर धारण किया। इसी शरीर के साथ देवराज इंद्र युधिष्ठिर को स्वर्ग ले गए।


ये भी पढ़ें-

Palmistry: अंगूठे से जान सकते हैं नेचर और फ्यूचर, जानें कैसे अंगूठे वाले होते हैं लकी और जीते हैं लग्जीरियस लाइफ?

Hindu Tradition: हिंदू धर्म में चिक्स पॉक्स बीमारी को क्यों मनाते हैं माता का रूप? जानें इसकी वजह

Shani Ast 2023: 30 जनवरी को अस्त होगा शनि ग्रह, अगले 33 दिन इन 4 राशि वालों पर पड़ेंगे भारी


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।


 


 
Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos

Recommended Photos