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Hindu Tradition: हिंदू धर्म में चिक्स पॉक्स बीमारी को क्यों मनाते हैं माता का रूप? जानें इसकी वजह
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जानें चिकन पॉक्स से जुड़ी मान्यता
हिंदू धर्म में कई मान्यताएं और परंपराएं हैं (Hindu Tradition )। इनमें से कुछ मान्यताओं के पीछे धार्मिक, मनोवैज्ञानिक और वैज्ञानिक तथ्य छिपे होते हैं, लेकिन बहुत कम लोग इन तथ्यों के बारे में जानते हैं। ऐसी ही एक परंपरा चिक्स पॉक्स (chicken pox) बीमारी से भी जुड़ी है। हिंदू धर्म में इसे देवी का रूप या देवी का प्रकोप माना जाता है। साथ ही इस बीमारी के निदान के लिए विशेष रूप से देवी आराधना भी की जाती है। आगे जानिए क्या है चिक्स पॉक्स और इसे देवी का रूप क्यों मनाते हैं…
क्या है चिकन पॉक्स? (What is chicken pox?)
चिकन पॉक्स एक संक्रामक बीमारी है जो वरिसेल्ला ज़ोस्टर नाम के विषाणु के कारण होती है। इस बीमारी में शरीर पर छोटी-छोटी लाल फुंसियां हो जाती हैं, जिसमें बाद में पानी भर जाता है और तेज खुजली होती है। जो व्यक्ति इस रोग से ग्रसित व्यक्ति के संपर्क में आता है, ये बीमारी उसे भी हो जाती है। हालांकि कुछ सावधानियां रखने पर बीमारी अपने आप ही खत्म भी हो जाती है।
चिकन पॉक्स को क्यों मानते हैं माता का रूप? (Why is chicken pox considered as goddess?)
हिंदू धर्म में चिकन पॉक्स को शीतला माता से जोड़ा जाता है। शीतला का अर्थ होता है ठंडक। इसके पीछे कारण है कि जब किसी व्यक्ति को चिकन पॉक्स होता है तो उसके सारे शरीर पर फोड़े-फूंसी और घाव हो जाते हैं। साथ ही काफी खुजली भी होती है। उस वक्त रोगी को ठंडक चाहिए होती है। इसलिए इस रोग से मुक्ति के लिए शीतला माता की पूजा विशेष रूप से की जाती है। ताकि शीतला माता की कृपा से वह ठीक हो जाएं।
चिकन पॉक्स में नीम का महत्व (Importance of neem in chicken pox)
हिंदू धर्म में हर पेड़-पौधा का विशेष महत्व बताया गया है। जब किसी को चिकन पॉक्स हो जाता है तो उसे बिस्तर के आस-पास नीम के पेड़ की टहनियां रखी जाती हैं। इससे दो प्रभाव होते हैं नीम के एंटीबायोटिक गुण के कारण इस बीमारी के वायरस फैलते नहीं और रोगी के शरीर में ठंडक भी बनी रहती है, जिससे उसे खुजली नहीं चलती। इसलिए नीम का उपयोग चिकन पॉक्स में विशेष रूप से किया जाता है।
बीमारी ठीक होने पर करते हैं शीतला माता की पूजा
हिंदू धर्म के अनुसार, जब कोई व्यक्ति चिकन सॉक्स से पीड़ित होता है, तो उसके परिवार का कोई सदस्य प्रतिदिन शीतला माता को जल चढ़ाने जाता है ताकि रोग का प्रकोप जल्दी ही शांत हो जाए। जब रोगी पूरी तरह से ठीक हो जाता है तब शीतला माता की विशेष पूजा की जाती है और उन्हें ठंडे खाने का भोग लगाया जाता है। इसके पीछे ये मनोविज्ञान है कि माता की कृपा से अब ये रोग हमें दोबारा न हो।
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