किसके पुत्र से चला पांडवों का वंश, युधिष्ठिर के बाद कौन बना हस्तिनापुर का राजा?

Published : Nov 05, 2024, 12:52 PM ISTUpdated : Nov 05, 2024, 02:10 PM IST
mahabharat-facts-king-parikshit

सार

mahabharat interesting facts: महाभारत युद्ध के बाद धर्मराज युधिष्ठिर हस्तिनापुर के राजा बने, ये बात तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि युधिष्ठिर के बाद हस्तिनापुर का राजा कौन बना? ये बात बहुत कम लोगों को पता है। 

Unheard stories of Mahabharata: महाभारत में युधिष्ठिर के राजा बनने तक की कथा तो सभी जानते हैं। इसके बाद क्या हुआ, इसके बारे में कम ही लोगों को पता है जैसे युधिष्ठिर जब अपने भाइयों के साथ स्वर्ग की यात्रा पर गए तो उन्होंने किसे हस्तिनापुर का राजा बनाया। उसके राजा बनने के बाद क्या-क्या हुआ? आज हम आपको उसी राजा के बारे में बता रहे हैं जो युधिष्ठिर के बाद हस्तिनापुर की राजगद्दी पर बैठा। आगे जानिए पांडवों की स्वर्ग यात्रा के बाद की कथा…

युधिष्ठिर ने किसे बनाया हस्तिनापुर का राजा?

भगवान श्रीकृष्ण के देह त्यागने के बाद महर्षि वेदव्यास के कहने पर पांडवों ने भी स्वर्ग की यात्रा पर जाने का निर्णय लिया। इसके पहले उन्होंने अर्जुन के पोते और अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को हस्तिनापुर का राजा बनाया। साथ ही राजा धृतराष्ट्र के पुत्र युयुत्सु को परीक्षित का सहायक बनाया। इसके बाद युधिष्ठिर द्वारिका भी गए, वहां उन्होंने श्रीकृष्ण के पोते वज्रनाभ को राजा बनाया।

श्रीकृष्ण ने गर्भ में बचाए थे परीक्षित के प्राण

महाभारत युद्ध के बाद अश्वत्थामा ने पांडवों के सभी पुत्रों का वध कर दिया था। अश्वत्थामा पांडवों का वंश खत्म करना चाहता था। इसके लिए उसने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ में रहकर उस बालक की ब्रह्मास्त्र से रक्षा की। यही बालक परीक्षित कहलाया और हस्तिनापुर का राजा बना।

परीक्षित के सामने आया कलयुग

महाभारत के अनुसार, एक बार राजा परीक्षित कहीं जा रहे थे, तभी उनके सामने कलयुग एक पुरुष के रूप में प्रकट हुआ। कलयुग को अपने राज्य में आता देख परीक्षित उसे मारने के लिए तैयार हो गए। तब कलयुग में परीक्षित से  माफी मांगी और अपने रहने के लिए स्थान मांगा। तब राजा परीक्षित ने कलयुग को रहने के लिए पांच स्थान दिए- जहां जुआ खेला जाता हो, जहां काम अधिक हो, जहां नशा होता हो, जहां हिंसा होती हो और और सोने यानी स्वर्ण में।

जब कलयुग ने परीक्षित से करवाया पाप

स्वर्ण में स्थान पाने के बाद कलयुग उसी समय राजा परीक्षित के सोने के मुकुट में प्रवेश कर गया, जिससे उनकी बुद्धि खराब हो गई। कलयुग के प्रभाव में आकर राजा परीक्षित ने तपस्या कर रहे एक ऋषि के गले में मरा हुआ सर्प डाल डिया। जब उस ऋषि के पुत्र को ये बता चला तो उसने 7 दिन के अंदर राजा परीक्षित को तक्षक सांप द्वारा काटे जाने का श्राप दे दिया।

ऐसे हुई परीक्षित की मृत्यु

मुकुट उतारने के बाद ऋषि का अपमान करने की बात जब राजा परीक्षित को पता चली तो उन्हें बहुत दुख हुआ। महाभारत के अनुसार, इस घटना के 7 दिन बाद तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डंस लिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। श्रीमद्भागवत में परीक्षित की मृत्यु का वर्णन थोड़ा अलग मिलता है। उसके अनुसार अपनी मृत्यु के बारे में जानकर राजा परीक्षित महर्षि वेदव्यास के पुत्र शुकदेव के पास गए। शुकदेव महाराज ने उन्हें 7 दिनों तक श्रीमद्भागवत का पाठ सुनाया। भागवत का पाठ सुनने के बाद उसी स्थान पर आकर परीक्षित द्वारा काटे जाने से राजा परीक्षित की मृत्यु हो गई।


ये भी पढ़ें-

धर्मराज युधिष्ठिर को क्यों देखना पड़ा था नरक, जानें किस पाप की मिली थी सजा?


रोचक कथा: किस महिला के कारण हुआ भीष्म और परशुराम में भयंकर युद्ध?


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

PREV

Recommended Stories

Akhurath Chaturthi 2025: कब होगा अखुरथ चतुर्थी का चंद्रोदय? जानें टाइम
Aaj Ka Panchang 7 दिसंबर 2025: 2 ग्रह बदलेंगे राशि, बनेंगे 4 शुभ योग, जानें राहुकाल का समय