
Mahakal Shahi Sawari 2 September 2024 Ujjain: मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहे जाने वाले उज्जैन में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर स्थित हैं। हर साल श्रावण-भादौ मास में यहां भगवान महाकाल को चांदी की पालकी में बैठाकर सवारी निकाली जाती है। भादौ मास के दूसरे सोमवार को निकलने वाली अंतिम सवारी को शाही सवारी भी कहते हैं। इस बार भगवान महाकाल की शाही सवारी 2 सितंबर, सोमवार को निकाली गई।
7 रूपों में दर्शन दिए दर्शन
शाही सवारी में भगवान महाकाल ने 7 अलग-अलग रूपों में अपने भक्तों को दर्शन दिए। साल में सिर्फ एक बार ही ऐसा मौका आता है जब बाबा महाकाल के सातों रूप एक साथ देखने को मिलते हैं। ये 7 रूप हैं- श्री चंद्रमौलेश्वर, श्री मनमहेश, शिवतांडव, उमा-महेश, होल्कर स्टेट के मुखारविंद, श्री घटाटोप मुखौटा स्वरुप और श्रीसप्तधान मुखारविंद। ये सभी रूप अलग-अलग वाहनों पर विराजमान थे।
क्यों कहते हैं इसे शाही सवारी?
सावन मास के प्रत्येक सोमवार को और भादौ के पहले 2 सोमवार को बाबा महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा है। भादौ के दूसरे सोमवार को बाबा महाकाल की अंतिम सवारी निकलती है, इसका स्वरूप अन्य सवारियों से बहुत ज्यादा वैभवशाली और विशाल होता है। इसका रूट भी अन्य सवारियों से ज्यादा लंबा होता है। इस सवारी में 10 से ज्यादा बैंड, 70 से ज्यादा भजन मंडली, पुलिस बैंड, पुलिस का घुड़सवार दल, विशेष सशस्त्र बल सलामी गार्ड आदि इसमें शामिल हुए।
क्यों खास है महाकाल मंदिर?
उज्जैन के महाकाल मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां रोज लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं। यहां रोज सुबह की जाने वाली भस्मआरती भी विश्व प्रसिद्ध है। कहते हैं कि पहले ये भस्म आरती मुर्दे की भस्म से की जाती थी लेकिन बाद में इस परंपरा में बदलाव किया गया। वर्तमान में गाय के गोबर से बनी भस्म से ये आरती की जाती है।
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