
Mahamaya-Mahalaya Temple Ujjain Unique Fact: मध्य प्रदेश के उज्जैन को मंदिरों का शहर कहते हैं। यहां राजा विक्रमादित्य के समय के अनेक प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर हैं। इन्हीं में से एक है देवी महालया और महामाया का मंदिर। इसे चौबीस खंबा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि ये दोनों देवियां शहर की रक्षा करती हैं। हर साल शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर यहां तांत्रिक विधि से नगर पूजा की जाती है। खास बात ये है कि इस पूजा का पूरा खर्च प्रशासन द्वारा दिया जाता है। नगर पूजा में शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम 27 किलोमीटर पैदल चलकर विभिन्न मंदिरों में शराब, भोग व अन्य चीजें अर्पित करती हैं।
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मान्यता है कि नगर पूजा की ये परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से चली आ रही है। नगर में किसी तरह की कोई आपदा न आए और लोग विपदाओं से बचे रहें, इसीलिए ये पूजा की जाती है। ये पूजा तांत्रिक स्वरूप में होती है जिसमें एक व्यक्ति शराब से भरी मटकी लेकर पूरे शहर में घूमता है। इस मटकी से शराब की धार निरंतर गिरती रहती है। इस दौरान 40 अलग-अलग मंदिरों में शराब का भोग लगाया जाता है और भोग सामग्री अर्पित की जाती है।
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उज्जैन में की जाने वाली ये नगर पूजा लगभग 14 घंटों में पूरी होती है। सुबह 8 बजे सबसे पहले देवी महामाया और महालया का शराब को भोग लगाने से ये पूजा शुरू होती है। 40 मंदिरों में पूजा करते-करते रात करीब 7.30 बजे इस पूजा का समापन होता है। नगर पूजा के अंतर्गत देवी और भैरव मंदिरों में शराब का भोग लगाते हैं और हनुमान मंदिरों के मंदिर में ध्वजा अर्पित की जाती है।
40 अलग-अलग मंदिरों में पूजा करने के बाद शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम हांडी फोड़ भैरव मंदिर पहुंचती हैं। यहां इस पूजा का समापन होता है और शराब से भरी मटकी फोड़ दी जाती है। इस पूजा के लिए आबकारी विभाग 31 बोतल शराब अपनी ओर से देता है। इस पूजा में सिंदूर, कुंकुम, अबीर, मेहंदी, चूड़ी, नारियल, चना, सिंघाड़ा, पूरी-भजिए, दूध, दही, इत्र आदि 40 तरह की चीजों का उपयोग किया जाता है।
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