Mokshada Ekadashi 2023: मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर को, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती सहित पूरी डिटेल

Kab Hai Mokshada Ekadashi 2023: धर्म ग्रंथों के अनुसार, अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहते हैं। इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इस दिन गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है।

 

Manish Meharele | Published : Dec 21, 2023 7:11 AM IST / Updated: Dec 22 2023, 08:25 AM IST

Mokshada Ekadashi 2023 Detail: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को बहुत ही पवित्र माना गया है। इस तिथि के स्वामी स्वयं भगवान विष्णु हैं। एक महीने में दो बार ये तिथि आती है। इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी का संयोग बनता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी का व्रत किया जाता है। इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए इस दिन गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है। आगे जानिए कब है गीता जयंती, इसकी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त आदि डिटेल…

कब करें मोक्षदा एकादशी व्रत? (Mokshada Ekadashi 2023 Date)
पंचांग के अनुसार, अगहन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 दिसंबर, शुक्रवार की सुबह 08:16 से 23 दिसंबर, शनिवार की सुबह 07:12 तक रहेगा। चूंकि 22 दिसंबर को पूरे दिन एकादशी तिथि रहेगी, इसलिए इसी दिन मोक्षदा एकादशी का व्रत किया जाएगा।

कब करें मोक्षदा एकादशी व्रत का पारणा? (Mokshada Ekadashi 2023 Parna muhurat) )
मोक्षदा एकादशी व्रत का पारणा 23 दिसंबर, शुक्रवार को किया जाएगा। व्रत के पारणा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 01:22 से 03:26 तक रहेगा।

इस विधि से करें मोक्षदा एकादशी व्रत (Mokshada Ekadashi 2023 Puja Vidhi)
- एकादशी व्रत के नियमों का पालन एक दिन पहले से ही शुरू जाता है। इसके लिए 21 दिसंबर, गुरुवार की रात सात्विक भोजन करें और ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें। एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प करें।
- घर में किसी साफ स्थान पर गोमूत्र या गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें। यहां एक पटिए यानी बाजोट पर भगवान भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। भगवान को फूल माला पहनाएं और शुद्ध घी का दीपक लगाएं।
- कुंकुम से तिलक करें और अबीर, गुलाल, रोली, चंदन आदि चीजें एक-एक करके अर्पित करें। माखन मिश्री या अपनी इच्छा अनुसार फलों का भोग लगाएं। कुछ देर वहीं बैठकर भगवान के भजन करें या मंत्रों का जाप करें। अंत में आरती करें।
- पूरे दिन निराहार (बिना कुछ खाए-पिए) रहें। संभव न हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं। रात में सोए नहीं। भगवान के मंत्रों का जाप करते रहें। अगले दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें।
- इस तरह जो भी पूरे विधि-विधान और सच्ची श्रद्धा से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करता है और मोक्षदा एकादशी का व्रत करता है, उसके सभी दुख दूर हो जाता हैं और हर मनोकामना पूरी होती है।

भगवान श्रीकृष्ण की आरती (Lord Krishna Aarti)
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै । बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा बसी शिव सीस, जटा के बीच,
हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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