Nag Panchami 2024: क्या होती है ‘नाग बलि’ पूजा, ये क्यों की जाती है?

Nag Panchami 2024: ज्योतिष शास्त्र में अलग-अलग दोषों के लिए कईं पूजा का वर्णन मिलता है। नाग बलि भी इनमें से एक है। ये पूजा कुछ स्थानों पर ही करवाई जाती है, मान्यता है कि तभी इसका संपूर्ण फल मिलता है।

 

Manish Meharele | Published : Aug 9, 2024 2:21 AM IST

Kya Hoti Hai Naag Bali Puja: इस बार 8 अगस्त, शुक्रवार को नागपंचमी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन नागदेवता की पूजा की जाती है। नागों से जुड़ी और भी कईं पूजा के बारे में ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है। ऐसी ही एक पूजा है नाग बलि। सुनने में ऐसा लगता है जैसे इस पूजा के दौरान नाग की बलि दी जाती है, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा से जानिए क्या होती है नाग बलि पूजा और ये क्यों की जाती है..

क्या है नाग बलि पूजा-क्यों करते हैं?
ज्योतिषाचार्य पं. नलिन शर्मा के अनुसार, ज्योतिष शास्त्र में दोष दूर करने के लिए कईं विशेष पूजा करने का वर्णन मिलता है, इन्हीं में से एक है नाग वलि। अपभ्रंश के कारण लोग इसे नाग बलि भी बोलते हैं। ये पूजा 3 दिनों तक की जाती है, तभी इसका संपूर्ण फल मिलता है। ये पूजा कईं विशेष परिस्थितियों में की जाती है। यदि किसी व्यक्ति के हाथों से नाग की हत्या हो जाए तो ये बहुत बड़ा पाप माना जाता है। इस पाप के अशुभ फल से बचने के लिए ये पूजा मुख्य रूप से की जाती है।

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पितृ दोष के लिए भी होती है ये नाग बलि पूजा
ज्योतिषाचार्य पं. शर्मा के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है तो इसके अशुभ फल से बचने के लिए भी नाग बलि पूजा करने का विधान है। यदि किसी के पितरों की अकाल मृत्यु हुई हो या किसी घटना-दुर्घटना में शरीर के अंग कट गए हों तो भी उनकी आत्मा की शांति के लिए नाग बलि पूजा करने का विधान है। पितरों को प्रेत योनि से छुटकारा दिलाने के लिए ये पूजा की जाती है।

3 दिनों का रहता है सूतक
जो भी व्यक्ति नाग बलि पूजा करवाता है, उसके घर में 3 दिन का सूतक रहता है। यानी इन 3 दिनों में उसके घर में कोई भी शुभ कार्य जैसे पूजा-पाठ भी नहीं कि जाती है। इस पूजा के दौरान साधक का मुंडन भी किया जाता है। कार्तिक, पौष और फाल्गुन मास में ये पूजा मुख्य रूप से करवाई जाती है।

इन 3 जगहों पर होती है नाग बलि पूजा
नागबलि पूजा हर कहीं नहीं की जाती है, इसके लिए 3 स्थान प्रमुख माने गए हैं। सबसे पहला है नासिक का त्र्यंबकेश्वर, दूसरा है उज्जैन का सिद्धनाथ और तीसरा है तिरुपति के नजदीक श्री कालहस्ती मंदिर। नागबलि के ये तीनों जगह ही सबसे श्रेष्ठ मानी गई है। इनके अलावा किसी अन्य स्थान पर की गई नाग बलि पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता।


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Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो ज्योतिषियों द्वारा बताई गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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