Narak Chaturdashi 2025: क्यों मनाते हैं नरक चतुर्दशी, जानिए इस दिन दीए जलाने का महत्व

Published : Oct 18, 2025, 03:13 PM IST
Narak Chaturdashi 2025

सार

Narak Chaturdashi 2025: अभ्यंग स्नान और पूजा का सही समय क्या है? किस देवता की पूजा करें, कौन से दीपक जलाएं और कौन से अनुष्ठान आपको नरक जाने से बचाएंगे? जानें संपूर्ण अनुष्ठान, शुभ मुहूर्त और नरकासुर की पौराणिक कथा।

Narak Chaturdashi 2025: नरक चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी (Roop Chaturdashi 2025) या रूप चौदस (Roop Chaudas 2025) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन अभ्यंग स्नान करने वाले लोग नरक जाने से बच जाते हैं। अभ्यंग स्नान के दौरान तिल के तेल का उपयोग अभ्यंग स्नान (पूजा) के लिए किया जाता है। नरक चतुर्दशी की शाम को दीपक जलाकर यमराज से अकाल मृत्यु से मुक्ति की प्रार्थना की जाती है। आइए जानें इस वर्ष नरक चतुर्दशी कब है और इसकी पूजा विधि और शुभ मुहूर्त क्या होगा।

नरक चतुर्दशी 2025 कब है (Narak Chaturdashi 2025 Date and Time)

  • नरक चतुर्दशी - 20 अक्टूबर 2025, सोमवार
  • अभ्यंग स्नान मुहूर्त - प्रातः 05:13 बजे से प्रातः 06:25 बजे तक
  • नरक चतुर्दशी पर चंद्रोदय का समय - सुबह 05:13 बजे
  • चतुर्दशी तिथि आरंभ - 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 01:51 बजे
  • चतुर्दशी तिथि समाप्त - 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:44 बजे
  • नरक चतुर्दशी अभ्यंग स्नान मुहूर्त 2025 (नरक चतुर्दशी 2025 अभ्यंग स्नान समय)
  • नरक चतुर्दशी पर अभ्यंग स्नान मुहूर्त 20 अक्टूबर की सुबह 05:13 बजे से 06:25 बजे तक रहेगा।

नरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaturdashi 2025 Puja Vidhi)

  • नरक चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है।
  • कहा जाता है कि इस दौरान शरीर पर तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए और फिर चिरचिरा (औषधीय पौधा) को सिर पर तीन बार घुमाना चाहिए।
  • इस दिन अहोई अष्टमी के दिन एक बर्तन में रखे पानी को नहाने के पानी में मिलाकर स्नान करने की विशेष परंपरा है। ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से नरक जाने का भय नहीं रहता।
  • इस दिन स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें।
  • शाम के समय घर के मुख्य द्वार के बाहर यमराज के लिए तेल का दीपक जलाएं।
  • इस दिन भगवान कृष्ण की भी पूजा करनी चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से सौंदर्य की प्राप्ति होती है।

नरक चतुर्दशी पर किसकी पूजा करनी चाहिए?

नरक चतुर्दशी पर यमराज और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इससे जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। इस दिन यमराज को दीपदान भी करना चाहिए।

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नरक चतुर्दशी कैसे मनाएं?

नरक चतुर्दशी पर, शाम को देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद, घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर तेल के दीपक जलाने चाहिए। इस दिन सौंदर्य और सौभाग्य के लिए भगवान कृष्ण की भी पूजा करनी चाहिए। सुबह अभ्यंग स्नान भी करना चाहिए।

नरक चतुर्दशी कथा

नरकासुर नामक राक्षस ने अपनी शक्तियों से सभी को परेशान कर रखा था। उसके अत्याचार इतने भयंकर हो गए थे कि उसने देवताओं और ऋषियों की 16,000 स्त्रियों को बंधक बना लिया था। इससे व्यथित होकर देवता और ऋषि भगवान कृष्ण की शरण में गए। तब भगवान कृष्ण ने सभी देवी-देवताओं को आश्वासन दिया कि वे उन्हें नरकासुर के आतंक से मुक्त करेंगे। नरकासुर को एक स्त्री के हाथों मरने का श्राप मिला था। इसलिए, भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया और सभी स्त्रियों को उसकी कैद से मुक्त कराया। नरकासुर के वध के बाद, लोगों ने कार्तिक मास की अमावस्या को अपने घरों में दीप जलाए। कहा जाता है कि तभी से इस दिन नरक चतुर्दशी और दिवाली का त्योहार मनाया जाने लगा।

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Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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