Subhas Chandra Bose Jayanti: जब सुभाषचंद्र बोस से अंग्रेज अफसर ने पूछा अटपटा सवाल, ये जवाब देकर नेताजी ने बढ़ाया देश का मान

Subhas Chandra Bose Jayanti: भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में कई लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, नेताजी सुभाषचंद्र बोस भी इनमें से एक थे। 23 जनवरी 2023 को उनकी 126 बर्थ एनिवर्सरी है। उनके जीवन के कुछ प्रसंग हमें भी प्रेरित करते हैं।

 

Manish Meharele | Published : Jan 23, 2023 4:18 AM IST / Updated: Jan 23 2023, 09:53 AM IST

उज्जैन. नेताजी सुभाषचंद्र बोस के बारे में कौन नहीं जानता? भारत की आजादी दिलाने में इस महानायक का योगदान भूलाया नहीं जा सकता है। नेताजी ने ही आजाद हिंद फौज का गठन किया और सशस्त्र आंदोलन के माध्यम से अंग्रेजों को भारत से भागने पर मजबूर कर दिया। नेताजी के जीवन के कुछ प्रसंग हमें आज भी प्रेरित करते हैं, देश के विकास में योगदान देने के लिए। (Subhas Chandra Bose Jayanti) 23 जनवरी 2023 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 126वी बर्थ एनिवर्सरी है। इस मौके पर जानिए, उनके जीवन के कुछ प्रेरक प्रसंग…


जब पिता को हुआ नेताजी पर गर्व
जब नेताजी सुभाषचंद्र बोस पढ़ाई करते थे, उनके कई मित्र भी थे। एक बार उनके एक मित्र को चेचक हो गया, जो कि संक्रांमित रोग था। वह मित्र हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करता था। जब हॉस्टल में रहने वाले अन्य लोगों को इस बात का पता चला तो वे एक-एक कर हॉस्टर छोड़कर चले गए। जब ये बात नेताजी को पता चली तो वे तुरंत अपने उस मित्र के पास पहुंचे और उसका इलाज शुरू करवाया। जब नेताजी के पिता को ये बात पता चली तो उन्होंने कहा कि“ ये बीमारी संक्रामक है, तुम भी इससे बीमार हो सकते है, इसलिए सावधान रहना।”
नेताजी ने जवाब दिया “पिताजी संकट की इस घड़ी में अगर मैं अपने मित्र की सहायता नहीं करूंगा तो कौन करेगा। मैं अपने दोस्त को कभी भी संकट की इस घड़ी में अकेला नहीं छोड़ सकता।” नेताजी की बात सुनकर उनके पिता ने कहा “मुझे गर्व है कि तुम मेरे पुत्र हो।“


जब नेताजी ने लिया नौकरी छोड़ने का फैसला
नेताजी के मन में देशभक्ति की भावना बचपन से ही थी। ये भावना युवाकाल तक और बलवती हो गई। एक बार नेताजी ICS की परीक्षा में पास होने के बाद ट्रेनिंग ले रहे थे। एक दिन जब वो परीक्षा दे रहे थे तो उसमें अंग्रेजी से बंगला में कुछ बातें अनुवाद करनी थी। उसमें से एक वाक्य का अर्थ था “भारतीय लोग आमतौर पर बेईमान होते हैं।” जैसे ही नेताजी ने ये पढ़ा, वे बहुत गुस्सा हो गए और इसका विरोध करने लगे। मगर अंग्रेजी अफसर ने कहा कि परीक्षा पास करने के लिए आपको ये करना ही होगा। तब नेताजी ने कहा कि “नही चाहिए मुझे ऐसी नौकरी, जो मेरे देश के विरुद्ध काम करने पर प्राप्त हो। इससे तो अच्छा मैं भूखा मरना पसंद करूंगा।” इतना बोलकर नेताजी परीक्षा कक्ष से बाहर निकल आए।


जब नेताजी ने अंग्रेज अफसर को सिखाया सबक
एक बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस इंग्लैंड में आईसीएस का इंटरव्यू देने गए। वहां को अंग्रेज अधिकारी इंटरव्यू ले रहा था वो भारतीयों को नीचा दिखाने के लिए जान-बूझकर उलटे-सीधे प्रश्न पूछ रहा था। जब नेताजी की बारी आई तो अंग्रेजी अधिकारी ने मजाक उड़ाने की लहजे से नेताजी से पूछा “बताओ, छत पर पंखा घूम रहा है, उसमें कितनी पंखुड़ियां हैं।”
प्रश्न सुनकर नेताजी की नजर पंखे पर चली गई। पंखा तेज गति से चल रहा था। उन्हें ऐसा करते देख अंग्रेज अफसर उन पर हंसने लगा। तब नेताजी ने उससे कहा “अगर मैंने इसका सही जवाब दे दिया तो आप यह स्वीकार करेंगे कि भारतीय न सिर्फ बुद्धिमान होते हैं बल्कि वे हर प्रश्न का हल खोज लेते हैं।”
अंग्रेज अफसर ने उनकी ये बात मान ली। इसके बाद नेताजी उठे और उन्होंने चलता पंखा बंद कर दिया। पंखा रुकते ही पंखुड़ियों की संख्या गिनकर उन्होंने अधिकारी को बता दी। इस तरह नेताजी ने सभी भारतीयों का मान रख लिया।



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