Operation Sindoor: पाकिस्तान में है भगवान शिव के आंसुओं से बना कुंड, जानें क्यों रोए थे महादेव?

Published : May 10, 2025, 11:49 AM ISTUpdated : May 10, 2025, 11:50 AM IST
Katas Raj Temple pakistan

सार

Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान में पिछलें कईं दिनों से सैनिक संघर्ष जारी है। पाकिस्तान में भी अनेक ऐसे मंदिर हैं, जो हिंदुओं की आस्था का केंद्र हैं। इनमें से एक है कटासराज मंदिर, जो भगवान शिव से संबंधित है। 

Katasraj Temple of Pakistan: भारत का ऑपरेशन सिंदूर पिछले कईं दिनों से चल रहा है। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को लगातार नष्ट कर रही है साथ ही भारतीय सैनिकों द्वारा किए जा रहे हमलों का जोरदार तरीके से जबाव भी दे रही है। वैसे तो पाकिस्तान हमारा पड़ोसी मुल्क हैं, लेकिन कभी ये भी भारत का ही अभिन्न अंग हुआ करता था। इसलिए वहां आज भी अनेक हिंदू प्राचीन मंदिर देखने को मिलते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है कटासराज। इस मंदिर से भगवान शिव की अनेक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। जानें क्यों खास है ये मंदिर…

कहां है पाकिस्तान का कटासराज शिव मंदिर?

कटासराज मंदिर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल गांव से लगभग 40 कि.मी. की दूरी पर कटस नाम की पहाड़ी पर है। मान्यता है कि जब भगवान शिव की पत्नी देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया और उनके वियोग में महादेव ने अपनी सुध-बुध खो दी थी। उनकी याद में भगवान शिव रोने लगे तो उनके आंसुओं से एक कुंड बन गया, जिसका नाम है कटाक्ष कुंड। यही पर भगवान शिव का एक मंदिर भी बना, जिसे आज कटासराज के नाम से जाना जाता है। कभी ये मंदिर भारत में था जो विभाजन के बाद पाकिस्तान में चला गया।

किसने बनवाया पाकिस्तान का कटासराज मंदिर?

मान्यता है कि कटासराज में भगवान शिव के मंदिर के अलावा और भी 7 मंदिर हैं, जिनका निर्माण पांडवों ने महाभारत काल में करवाया था। पांडवों ने अपने वनवास के दौरान लगभग 4 साल यहां बिताए थे। ऐसा भी कहा जाता है कि कटासराज में स्थित कुंड वही स्थान है, जहां यमराज ने यक्ष के रूप में युधिष्ठिर से सवाल पूछे थे और युधिष्ठिर ने उन सवालों का जवाब देकर अपने भाइयों की जान बचाई थी।

कितना पुराना है कटासराज मंदिर?

स्थानीय प्रशासन की अनदेखी का चलते 7 में से अब सिर्फ 3 मंदिर में शेष बचे हैं। बाकी मंदिर खंडहर में बदल चुके हैं। वर्तमान में यहां मंदिरों का स्ट्रक्चर है, वह लगभग 900 साल पुराना बताया जाता है। इस बात ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि समय-समय पर हिंदू राजाओं द्वारा इन मंदिरों का पुनर्निर्माण करवाया जाता था।


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