
Pitru Paksha Matru Navmi 2025: इस बार श्राद्ध पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो चुका है, जो 21 सितंबर तक रहेगा। श्राद्ध पक्ष की हर तिथि का एक विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि को मातृ और अविधवा नवमी कहते हैं। श्राद्ध पक्ष की ये तिथि बहुत ही खास मानी गई है। इस बार मातृ नवमी का श्राद्ध 15 सितंबर, सोमवार को किया जाएगा। इस तिथि पर मृत हुए परिजनों के अलावा और किनका किसका श्राद्ध करना चाहिए? आगे जानिए इस तिथि से जुड़ी हर खास बात…
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उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, मातृ नवमी पर परिवार के उन लोगों का श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की नवमी तिथि पर हुई हो। इनके अलाना उन सभी महिलाओं का श्राद्ध भी करें, जिनकी मृत्यु सुहागिन स्थिति में हुई है। मातृ नवमी पर श्राद्ध करने से परिवार की उन सभी ज्ञात-अज्ञात महिलाओं की आत्मा को शांति मिलती है, जिनकी मृत्यु सुहागिन अवस्था में हुई हो। इसलिए इस तिथि का विशेष महत्व माना गया है।
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1. मातृ नवमी पर किसी सुहागिन ब्राह्मण स्त्री को घर पर भोजन के लिए बुलाएं। भोजन करवाने के बाद उस महिला को अपनी इच्छा अनुसार सुहाग की सामग्री जैसे कुंकुम, मेहंदी, चुनरी, महावर आदि चीजों का दान करें। साथ ही दक्षिणा भी दें।
2. मातृ नवमी पर किसी वृद्धाश्रम में रहने वाले लोगों को भोजन करवाएं या अनाज, फल, दूध, कपड़े आदि चीजों का दान करें।
3. श्राद्ध की नवमी तिथि पर परिवार की बुजुर्ग महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार कुछ उपहार दें।
4. विवाहित बहन और बेटी को घर पर सपरिवार भोजन के लिए आमंत्रित करें और उन्हें भी वस्त्र आदि देकर ससम्मान विदा करें।
5. मातृ नवमी पर दोपहर 12 बजे से पहले जलते हुए कंडे (उपले) पर ऊं मातृ देवताभ्यो नम: बोलकर घी-गुड़ की आहुति दें। ऐसा 5 बार करें। इसके बाद हाथ में जल लेकर अंगूठे से जमीन पर छोड़े दें और मृतकों की आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करें।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।