Pitru Paksha 2025: यहां महिलाएं करती हैं पितरों का तर्पण-पिंडदान, देवी सीता से है कनेक्शन

Published : Sep 15, 2025, 10:54 AM IST
Pitru Paksha 2025

सार

Pitru Paksha 2025: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में एक प्राचीन तीर्थ स्थान हैं, जहां श्राद्ध पक्ष के दौरान महिलाएं अपने पितरों का पिंडदान, तर्पण आदि करती हैं। इस स्थान का सीधा संबंध देवी सीता से माना जाता है। इससे जुड़ी रोचक मान्यताएं भी हैं।

Sita Kund Mirzapur Uttar Pradesh: हमारे देश में श्राद्ध, पिंडदान आदि के लिए कईं प्रमुख तीर्थ स्थान हैं। ऐसा ही एक तीर्थ स्थान उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में भी है। मिर्जापुर के विंध्य क्षेत्र में एक प्राचीन कुंड है, जिसे सीता कुंड कहते हैं। मान्यता है कि इस कुंड का निर्माण भगवान श्रीराम की पत्नी देवी सीता ने किया था। श्राद्ध पक्ष के दौरान दूर-दूर से महिलाएं यहां अपने पितरों का श्राद्ध करने आती हैं। श्राद्ध पक्ष की मातृ नवमी पर तो यहां महिलाओं की भीड़ उमड़ती है। आगे जानिए इस तीर्थ स्थान से जुड़ी रोचक बातें…

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क्यो है सीता कुंड से जुड़ी मान्यता?

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर के विंध्य क्षेत्र में स्थित सीता कुंड प्राचीन तीर्थ स्थान है। कहते हैं इस कुंड वनवास के दौरान देवी सीता ने ही इस कुंड का प्रकट किया था और यहां उन्होंने अपने ससुर महाराज दशरथ का पिंडदान भी किया था। तभी से इस स्थान पर महिलाओं द्वारा अपने पितरों का पिंडदान करने का विशेष महत्व है। वैसे तो श्राद्ध पक्ष के दौरान यहां रोज हजारों महिलाएं आती हैं लेकिन मातृ नवमी पर इनकी संख्या बहुत ज्यादा रहती है। इस बार मातृ नवमी 15 सितंबर, सोमवार को है।

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देवी सीता ने क्यों किया पितरों का तर्पण?

प्रचलित कथा के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और सीता थोड़े समय यहीं रुके थे। श्राद्ध पक्ष के दौरान एक दिन भगवान राम, लक्ष्मण देवी सीता को छोड़कर गंगा में स्नान करने चले गए। इसी बीच माता सीता ने अपने पूर्वजों को याद किया। ऐसा करते ही सभी पितर वहां उपस्थित हो गए। उस समय वहां तर्पण के लिए जल नहीं था। माता ने वरुण देवता का आवाहन किया, जिससे वहां एक कुंड बन गया। माता सीता ने उसी जल से पितरों के लिए तर्पण किया।

देवी सीता ने स्थापित किया था शिवलिंग

सीता कुंड के पास ही देवी सीता ने शिवलिंग की स्थापना भी की थी, जिसे सीतेश्वर के नाम से जाना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन और पूजा करने आते हैं। इस क्षेत्र में देवी सीता और भगवान श्रीराम से जुड़े और भी कईं स्थान प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम काफी दिनों तक यहां रूके थे। सावन के दौरान यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है।


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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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