
Sarva Pitru Amavasya 2025: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और तर्पण व श्राद्ध करते हैं। हालांकि, सर्व पितृ अमावस्या, जिसे महालया या सर्व मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है, सबसे खास मानी जाती है। यह दिन पितृ पक्ष का अंतिम दिन होता है और मान्यता है कि इस दिन किया गया कोई भी श्राद्ध और तर्पण सीधे सभी पूर्वजों तक पहुंचता है। यह पूर्वजों का सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करने का अंतिम अवसर माना जाता है। आइए उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी जी से जानते हैं सर्व पितृ अमावस्या कब से शुरू हो रहा और तर्पण करने के क्या नियम हैं?
सर्व पितृ अमावस्या पर, उन सभी पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी पुण्यतिथि ठीक से ज्ञात नहीं है और जिनका श्राद्ध किसी कारणवश पितृ पक्ष के दौरान नहीं किया जा सका। इसलिए इसे सभी पूर्वजों का श्राद्ध कहा जाता है।
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महाभारत में, कुरुक्षेत्र युद्ध में कर्ण की मृत्यु के बाद, उनकी आत्मा दिव्य लोक पहुंची जहां उनकी मुलाक़ात मृत्यु के देवता यम से हुई। यम ने कर्ण को बताया कि उसे अपने सांसारिक कर्मों का फल भुगतना होगा। अधूरे कर्मकांडों के कारण कष्ट झेल रहे अपने पूर्वजों के लिए चिंतित, कर्ण ने यम से अनुरोध किया कि वे उसे इन कर्मकांडों को पूरा करने के लिए पृथ्वी पर लौटने की अनुमति दें। कर्ण की भक्ति से प्रभावित होकर यम ने उसे कुछ समय के लिए पृथ्वी पर लौटने की अनुमति दे दी। इस दौरान, कर्ण ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक अनुष्ठान और तर्पण किए।
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