
Maha Kumbh 2025 Snan Date: 13 जनवरी से प्रयागराज में शुरू हुआ महाकुंभ अपने चरम स्तर पर है। रोज यहां लाखों साधु-संत और भक्त पवित्र संगम तट पर डुबकी लगा रहे हैं। मान्यता है कि कुंभ के दौरान पवित्र नदी में स्नान से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। महाकुंभ 2025 में प्रमुख 6 स्नानों में से 2 स्नान हो चुके हैं। शेष 4 स्नान होना बाकी है। जानें कुंभ स्नान के बारे में क्या लिखा है ग्रंथों में और प्रमुख स्नानों का महत्व…
क्या है ‘बैटल ऑफ ज्ञानवापी’, नागाओं ने कब-कब उठाए हथियार?
सहस्त्र कार्तिके स्नानं माघे स्नान शतानि च।
वैशाखे नर्मदाकोटिः कुंभस्नानेन तत्फलम्।।
अश्वमेघ सहस्त्राणि वाजवेयशतानि च।
लक्षं प्रदक्षिणा भूम्याः कुंभस्नानेन तत्फलम्।
अर्थ- कुंभ में किए गए एक स्नान का फल कार्तिक मास में किए गए हजार स्नान, माघ मास में किए गए सौ स्नान व वैशाख मास में नर्मदा में किए गए करोड़ों स्नानों के बराबर होता है। हजारों अश्वमेघ, सौ वाजपेय यज्ञों तथा एक लाख बार पृथ्वी की परिक्रमा करने से जो पुण्य मिलता है, वह कुंभ में एक स्नान करने से प्राप्त हो जाता है।
महाकुंभ 2025 की शुरूआत 13 जनवरी से हो चुकी है। इसका प्रथम स्नान पौष पूर्णिमा पर हुआ। ग्रंथों के अनुसार, पूर्णिमा तिथि बहुत ही शुभ और धर्म कार्य करने के लिए पवित्र मानी गई है। इस दिन भगवान चंद्रदेव और सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। चंद्रदेव प्रत्यक्ष देवता माने गए हैं। इसलिए पौष पूर्णिमा पर महाकुंभ स्नान का बहुत शुभ फल देने वाला है।
हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन से सर्य धनु से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मान्यता है कि इसी दिन से देवताओं का दिन शुरू होता है। इसलिए इस मौके पर स्नान-दान करने की परंपरा भी है। महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान भी इसी दिन किया गया।
महाकुंभ 2025 का दूसरा और सबसे बड़ा अमृत स्नान मौनी अमावस्या के मौके पर 29 जनवरी को किया जाएगा। मौनी अमावस्या का महत्व धर्म ग्रंथों में भी बताया गया है। इस दिन साधु-संत उपवास रखते हैं और मौन रहकर अपनी साधना करते हैं। मौनी अमावस्या साल भर में आने वाली सभी 12 अमावस्याओं में सबसे श्रेष्ठ मानी गई है।
महाकुंभ 2025 का चौथा स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी पर किया जाएगा। मान्यता है माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर ही देवी सरस्वती प्रकट हुई थीं। इसलिए हर साल इनका प्रकटोत्सव बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग तरह-तरह के उपाय कर देवी सरस्वती को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
महाकुंभ 2025 का पांचवां स्नान 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा पर होगा। माघी पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने और जरूरतमंदों को दान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जो भी इस तिथि पर पवित्र संगम में स्नान करता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। इसी दिन संगम तट पर चल रहा कल्पवास भी समाप्त होता है।
महाकुंभ 2025 का छठा और अंतिम स्नान महाशिवरात्रि के मौके पर 26 फरवरी को किया जाएगा। इसे अमृत स्नान कहा जाएगा। ग्रंथों के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर ही भगवान शिव ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे। तभी से इस तिथि पर महाशिवरात्रि पर्व मनाया जा रहा है। इसी दिन महाकुंभ 2025 का समापन भी होगा।
ये भी पढ़ें-
MahaKumbh 2025: कौन हैं 14 अखाड़े, कैसे हुई स्थापना, क्या है अखाड़ों का इतिहास?
Mahakumbh Mela 2025: कुंभ का इतिहास, जानें महाकुंभ-कुंभ में अंतर, क्या है कथा?