
Premanand ji Maharaj Special: कई लोगों का ये मानना है कि जब भी कोई अच्छा काम होने वाला होता और उसे नजर लग जाती है, तो वो काम नहीं बन पाता है। ऐसे में कुछ लोग अपने काम को बिना किसी को बताए, चुपचाप करने में विश्वास रखते हैं। सवाल यहां ये उठता है कि क्या सच में नजर लगती है? क्या नजर लगने से सारे बने-बनाए काम बिगड़ जाते हैं? इस सवाल का जवाब खुद प्रेमानंद महाराज ने दिया है। उन्होंने नजर वाले मुद्दे पर अपना नजरिया रखकर लोगों का मार्गदर्शन करने का काम किया है।
प्रेमानंद महाराज से एक भक्त ने कहा कि जब भी कोई शुभ कार्य करते हैं और वो नहीं होता, तो लोग बोलते हैं नजर लग गई है। तो क्या सच में ऐसा होता है? इसका जवाब देते हुए स्वामी जी ने कहा, 'ये सब हमारे कर्म हैं। अगर हमें असफलता मिली, तो हम उसे नजर लगना भी कह सकते हैं। ये सभी बातें छोड़ों और राधा-राधा जपो। जब भी घर से निकलो तो राधा-राधा नाम कहकर निकलो कोई बाधा नहीं आएगी। प्रेमानंद ने बच्चों को नजर लगने पर भी बात की। उन्होंने कहा कि मां अपने बच्चे की नजर प्यार में उतारती है। वहीं, कुछ लोग जो घर के बाहर राक्षस का मुखौटा लगा देते हैं, उन्हें ऐसा करने की बजाए भगवान की तस्वीर घर के बाहर लगानी चाहिए।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में सरसौल के अखरी गांव में स्वामी प्रेमानंद महाराज का जन्म हुआ था। उनका बचपन में अनिरुद्ध कुमार पांडे नाम था। उनके पिता का नाम शंभू पांडे और माता का नाम रामा देवी बताया जाता है। 13 साल की उम्र से ही उन्होंने दीक्षा लेकर संत बनने का सफर शुरू किया था। इसके बाद उनका नाम आर्यन ब्रह्मचारी रखा गया। बहुत कम लोगों को पता है कि प्रेमानंद महाराज के दादाजी भी एक संन्यासी ही थे। गुरु संत श्रीहित गौरांगी शरण महाराज ने प्रेमानंद जी को भक्ति का पाठ पढ़ाया था। जब प्रेमानंद महाराज पहली बार मथुरा आए थे तो उन्हें लगा था कि वो इसी जगह से जुड़े हुए हैं। कई बॉलीवुड हस्तियां स्वामी प्रेमानंद महाराज से मार्गदर्शन प्राप्त करने आती हैं।