
Ayodhya Ram Mandir History: अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्म स्थली है। अनेक पुराणों में इसका वर्णन भी मिलता है। अयोध्या प्राचीन सप्तपुरियों में से एक भी है यानी दुनिया के 7 सबसे प्राचीन और पवित्र शहर। इतिहासकारों का कहना है कि द्वापरयुग के बाद अयोध्या गुमनामी के अंधेरों में खो गई थी। तब एक पराक्रमी राजा ने अयोध्या की खोज की और यहां रामलला का विशाल और भव्य मंदिर बनवाया। गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित अयोध्या दर्शन ग्रंथ में इस का वर्णन मिलता है। जानें कौन-थे वो राजा और कैसे की उन्होंने अयोध्या की खोज…
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प्राचीन समय में उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन) के राजा विक्रमादित्य हुआ करते थे। उनका शासन न सिर्फ भारत बल्कि अन्य देशों में भी फैला हुआ था। एक बार राजा विक्रमादित्य जब अयोध्या होते हुए प्रयागराज गए तो वहां स्वयं तीर्थराज प्रयाग एक ब्राह्मण के रूप में उनके पास आए।
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तीर्थराज प्रयाग ने राजा विक्रमादित्य को अयोध्या के बारे में बताया जो अब गुमनाम हो चुकी थी। कालांतर में यहां का वैभव खत्म हो चुका था। तीर्थराज प्रयाग ने राजा विक्रमादित्य से अयोध्या का पुनरुद्धार करने को कहा। साथ ही इसका महत्व आदि के बारे में भी बताया।
जब राजा विक्रमादित्य अयोध्या आए तो वे प्रयागराज तीर्थ के बताए स्थान के बारे में भूल गए। तब उनके पास एक संन्यासी ने आकर कहा ‘आप एक सफेद गाय को बुलवाएं और जिस स्थान पर गाय के थन से अपने आप ही दूध गिरने लगे,, वही भगवान श्रीराम का जन्म स्थल समझिए।’
राजा विक्रमादित्य ने ब्राह्मण के कहे अनुसार ऐसा ही किया और कुछ दूर चलने पर एक स्थान पर गाय के थनों से दूध गिरने लगा। राजा विक्रमादित्य ने उसी स्थान पर भगवान श्रीराम का विशाल मंदिर बनवाया। ये मंदिर इतना विशाल था कि 80 किलोमीटर दूर से भी दिखता है।
इस तरह उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य ने अयोध्या को न सिर्फ उसका खोया वैभव लौटाया और इसका पुनरुद्धार किया। वर्तमान मंदिर से पहले जो मंदिर यहां स्थापित था वह राजा विक्रमादित्य द्वारा ही बनवाया गया था जिसे विदेशी आक्रांताओं ने तोड़ दिया था।
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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।