हिंदुओं के लिए क्यों खास है ‘संभल’, किस ग्रंथ में क्या लिखा है इसके बारे में?

Published : Nov 25, 2024, 03:34 PM IST
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सार

Sambhal News: अनेक धर्म ग्रंथों में संभल शहर का वर्णन मिलता है। मान्यता है कि संभल में ही भगवान विष्णु कल्कि रूप में अवतार लेंगे और दुष्टों का अंत करेंगे। भगवान विष्णु का ये अवतार कलयुग के अंत में होगा। 

Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश का संभल शहर इन दिनों सुर्खियों में है। यहां स्थित जामा मस्जिद को लेकर हिंदुओं का कहना है कि ये प्राचीन हरिहर मंदिर है। इसी बात को लेकर हो रहे सर्वे के दौरान यहां हिंसा भड़क गई, जिसमें कईं लोग मारे गए। संभल शहर का वर्णन अनेक धर्म ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। धर्म ग्रंथों में सतयुग से लेकर कलयुग तक संभल के कईं नाम भी बताए गए हैं। जानें किस ग्रंथ में क्या लिखा है संभल के बारे में…

यहां होगा भगवान विष्णु का अवतार कल्कि

श्रीमद्भागवत पुराण, विष्णु पुराण, स्कन्ध पुराण, भविष्य पुराण आदि कई ग्रंथों के अनुसार, कलयुग के अंत में भगवान विष्णु एक बार पुन: अवतार लेंगे और अधर्म का नाश करेंगे। कलियुग का अंत करने के कारण ही इनका नाम कल्कि होगा। भगवान विष्णु का कल्कि अवतार संभल नाम के स्थान पर होगा। श्रीमद्भागवत के अनुसार…
सम्भल ग्राम, मुख्यस्य ब्राह्मणस्य महात्मनः
भवने विष्णुयशसः कल्कि प्रादुर्भाविष्यति।।
अर्थ- कलियुग के अंत में भगवान विष्णु संभल नामक स्थान पर विष्णुयश नाम के श्रेष्ठ ब्राह्मण के घर कल्कि रूप में अवतार लेंगे।

श्री कल्कि पुराण में भी संभल नामक स्थान का वर्णन मिलता है-
यत्राष्टषष्ठि तीर्थांनां सम्भवः शम्भले भवत।
मृत्योमोक्षः क्षितौ. कल्केरकल्कस्य पक्षश्रयात्।।
अर्थ- संभल में अड़सट (68) तीर्थों का नाम निवास होगा और यहां जिसकी भी मृत्यु होगी वह सीधे मोक्ष को प्राप्त होगा।


ग्रंथों में हरि मंदिर का वर्णन भी

संभल की जिस जामा मस्जिद को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है ये प्राचीन हरिहर मंदिर हैं। इस मंदिर के बारे में भी धर्म ग्रंथों में प्रमाण मिलता है। उसके अनुसार-
वृद्ध ब्राह्मण वेषेण, सदा त्रिष्ठति मंदिरे।
ताव देव स्थितस्य या वद् हरि समागमः।।
सत्येसत्यवृतो नाम, त्रेतायां च महद्गिरिः।
द्वापरेपिंगलो नाम, कलौ सम्भल उच्यते।।

अर्थ- वृद्ध ब्राह्मण के रूप में ब्रह्मा हरि मन्दिर की गुफा में वास करते हैं। जब तक कल्कि अवतार नहीं होगा, वे इसी स्थान पर वास करेंगे। सतयुग में इस स्थान का नाम सत्यव्रत, त्रेता में महद्गिरी, द्वापर में पिंगल और कलियुग में सम्भल होगा।


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