Sant Tukaram Jayanti 2023: हमारे देश में अनेक महान संत हुए, संत तुकाराम भी इनमें से एक थे। इस बार संत तुकाराम की जयंती 9 मार्च, गुरुवार को है। इस मौके पर महाराष्ट्र में संत तुकाराम के अनुयायी विशेष आयोजन करते हैं।
उज्जैन. भारत में कई ऐसे महान संत हुए जिन्होंने देश में फैले आडंबरों का विरोध किया और लोगों को जीने की सही राह दिखाई। संत तुकाराम भी इनमें से एक थे। हर साल महाराष्ट्र और इसके आस-पास के क्षेत्रों में इनकी जयंती बडे़ स्तर पर मनाई जाती है। इस बार संत तुकाराम की जयंती (Sant Tukaram Jayanti 2023) 9 मार्च, गुरुवार को है। आगे जानिए कौन थे संत तुकाराम और क्यों उन्हें भक्ति आंदोलन का प्रमुख कहा जाता है…
जानिए कौन थे संत तुकाराम? (Know who was Sant Tukaram?)
संत तुकाराम का जन्म 1598 में महाराष्ट्र के देहू नामक गांव में हुआ था। ये 17वां सदी के महान संत और कवि थे। इन्हें भक्ति आन्दोलन का प्रमुख भी कहा जाता है। उनके पिता का नाम बोल्होबा और माता का नाम कनकाई था। जब वे 18 वर्ष के थे, तब उनके माता-पिता का स्वर्गवास हो गया।
इस घटना से विरक्त हो गए संत तुकाराम
17वीं शताब्दी के दौरान एक बार देश में भीषण अकाल पड़ा। इस दौरान हजारों लोग मारे गए। इस प्राकृतिक आपदा के दौरान संत तुकाराम की पत्नी और छोटे बालक की भी मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने दूसरा विवाह भी किया, लेकिन वो सफल नहीं हो पाय। जीवन की घटनाओं के बाद संत तुकाराम का मन संसार से विरक्त हो गया
एक साधु के उपदेश ने बनाया संत
संत तुकाराम का मन जब किसी काम में नहीं लगता तो वे मन की शांति के लिए भावनाथ नामक पहाड़ी पर जाकर भगवान् विट्ठल के स्मरण करते। एक दिन एक साधु ने उन्हें देखा और हरि मन्त्र का उपदेश दिया। इस घटना के बाद उनके जीवन की दिशा और दशा दोनों बदल गई। संत तुकाराम ने अपने दोहों के माध्यम से समाज में व्याप्त ऊंच-नीच का भेद समाप्त करने के लिए काफी प्रयास किए। 1571 में उन्होंने देह त्याग दी।संत तुकाराम को महाराष्ट्र में वरकरी समुदाय के लोगों द्वारा पूजा जाता है।
जब संत तुकाराम को पड़ोसी ने कहा भला-बुरा
प्रचलित कथा के अनुसार, संत तुकाराम अपने शिष्यों को रोज उपदेश देते थे। बहुत से लोग उनके प्रवचन सुनने वहां आते थे। ये देख संत तुकाराम का पड़ोसी बहुत चिढ़ता था। एक दिन संत तुकाराम की भैंस पड़ोसी के खेत में चली गई, जिससे उसकी फसल खराब हो गई। ये देख पड़ोसी ने उन्हें भला-बुरा कहा और मारने भी दौड़ा, लेकिन संत तुकाराम ने उसका कोई प्रतिकार नहीं किया। अगले दिन जब संत तुकाराम प्रवचन दे रहे थे तो वह पड़ोसी वहां आया। उसे देख संत तुकाराम भैंस द्वारा किए गए नुकसान के लिए उससे माफी मांगने लगे। ये देख पड़ोसी का ह्रदय द्रवित होगा और वो संत तुकाराम के पैरों में गिरकर माफी मांगने लगा।
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