Pitru Paksha Last Day: पितृ पक्ष के आखिरी दिन पूर्वजों को कैसे दें विदाई, जानें नियम और विधि

Published : Sep 20, 2025, 03:50 PM IST
Pitru Paksha Last Day

सार

सर्व पितृ अमावस्या 2025 पितृ पक्ष का अंतिम और सबसे पवित्र दिन है। इस दिन तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करके पितरों को विदाई दी जाती है। ब्राह्मणों को भोजन कराना, दान देना और पशुओं को चारा खिलाना आवश्यक माना जाता है। 

Pitru paksha 2025 Last Day: हिंदू पंचांग में, पितृ पक्ष का अंतिम दिन, सर्वपितृ अमावस्या, पितरों को विदाई देने का सबसे पवित्र अवसर माना जाता है। पूरे पखवाड़े तक तर्पण और श्राद्ध करने के बाद, इस दिन सभी पितरों का सामूहिक स्मरण और विसर्जन किया जाता है। इसे पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन किया गया श्राद्ध और तर्पण उन पूर्वजों को भी प्रसन्न करता है जिनकी मृत्यु तिथि अज्ञात है।

सूर्योदय से पहले संकल्प और स्नान

सर्वपितृ अमावस्या सूर्योदय से पहले स्नान से शुरू होती है। गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर, संकल्प लें: "आज सर्वपितृ अमावस्या पर, मैं अपने सभी पितरों का तर्पण और विसर्जन करता/करती हूं।" यह दिन उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सर्वोत्तम समय माना जाता है।

पिंडदान और तर्पण विधि

इस दिन, तर्पण के लिए तिल, जल, पुष्प और चावल का उपयोग किया जाता है। कुशा के आसन पर बैठकर पितरों का नाम और गोत्र तीन बार बोलते हुए जल अर्पित करें। पके हुए चावल, तिल और घी से बना पिंड अर्पित करना अनिवार्य माना जाता है। इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ब्राह्मण भोजन और दान का महत्व

पितरों को विदाई देने का यह अनुष्ठान ब्राह्मण को भोजन कराने पर पूर्ण माना जाता है। खीर, पूरी, सब्ज़ियां और मौसमी फल अवश्य अर्पित किए जाते हैं। ब्राह्मण को दक्षिणा देने के साथ-साथ गाय, कुत्ते, कौवे और ज़रूरतमंदों को भोजन कराना भी एक अनिवार्य परंपरा है।

ये भी पढ़ें- नवरात्रि में इन मंत्रों का जाप बदल देगी आपकी किस्मत, मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

पितरों की विदाई के लिए विशेष अनुष्ठान

पूजा के अंत में घी का दीपक जलाएं और पितरों से प्रार्थना करें, "हे पितरों, कृपया तृप्त होकर अपने लोक में लौट जाएं और हमें आशीर्वाद दें।" इसके बाद, जल में तिल डालकर तीन बार विसर्जित करें। यह पितरों की औपचारिक विदाई का क्षण है।

इस दिन के नियम

  • मांस, मदिरा और मांसाहारी भोजन का त्याग करें।
  • घर में सात्विकता और पवित्रता बनाए रखें।
  • किसी भी जीवित प्राणी को भोजन कराना पुण्य माना जाता है

मान्यता है कि सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध करने से पूरे वर्ष का पितरों का ऋण चुकाया जाता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इसीलिए इस दिन को पितरों की सामूहिक विदाई का पर्व कहा जाता है।

ये भी पढ़ें- Ghat Sthapna Muhurat 2025: कैसे करें घट स्थापना, कौन-सा मंत्र बोलें? जानें विधि, मुहूर्त और आरती

Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

Aaj Ka Panchang 7 दिसंबर 2025: 2 ग्रह बदलेंगे राशि, बनेंगे 4 शुभ योग, जानें राहुकाल का समय
Unique Temple: इस त्रिशूल में छिपे हैं अनेक रहस्य, इसके आगे वैज्ञानिक भी फेल, जानें कहां है ये?