Sawan 2023: सावन में घर बैठे करें महाकाल, काशी विश्वनाथ और सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के लाइव दर्शन

Shiv Mandir Live Darshan: इन दिनों सावन का अधिक मास चल रहा है। 19 साल बाद ऐसा मौका आया है जब सावन का अधिक मास हो। इस दौरान भगवान शिव की भक्ति अपने चरम पर होती है। इस दौरान प्रमुख शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।

 

Manish Meharele | Published : Jul 21, 2023 5:00 AM IST / Updated: Jul 21 2023, 10:31 AM IST

उज्जैन. हमारे देश में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में 12 ज्योतिर्लिंगों (Jyotirling Live Darshan) की मान्यता सबसे ज्यादा है। ये ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित हैं। इन सभी से अलग-अलग मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। रोज यहां लाखों भक्त इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के लिए आते हैं। सावन में यहां आने वाले भक्तों की संख्या दोगुनी हो जाती है। इस समय सावन का अधिक मास चल रहा है। इस महीने में इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना बहुत ही शुभ माना जाता है। अगर आप स्वयं यहां नहीं जा सकते तो घर बैठे इनके लाइव दर्शन कर सकते हैं।

सोमनाथ मंदिर लाइव दर्शन (Somnath Jyotirling Live Darshan)
सोमनाथ मंदिर गुजरात के सौराष्ट में स्थित है। 12 ज्योतिर्लिगों के क्रम में ये पहले स्थान पर आता है। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना चंद्रदेव ने की थी। चंद्रमा द्वारा स्थापित होने के कारण ही इसका नाम सोमनाथ पड़ा, क्यों सोम चंद्रमा का ही एक नाम है। इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। इस मंदिर पर अनेक आक्रमण हुए, लेकिन हर बार ये पुन: वैभवशाली हो गया।

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महाकाल मंदिर लाइव दर्शन (Mahakal Jyotirling Live Darshan)
12 ज्योतिर्लिंगों के क्रम में महाकालेश्वर मंदिर तीसरे स्थान पर है। ये मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहे जाने वाले उज्जैन में स्थित है। ये एकमात्र दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग है, इसलिए इसका तांत्रिक महत्व भी है। यहां सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व प्रसिद्ध है। सावन मास के प्रत्येक सोमवार को यहां भगवान महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा है।

काशी विश्वनाथ मंदिर लाइव दर्शन (Kashi Vishwnath Jyotirling Live Darshan)
काशी में स्थित विश्वनाथ मंदिर भी 12 ज्योतिर्लिगों में से प्रमुख है। काशी को शिवजी की नगरी ही कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी एक बार काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के एक बार दर्शन कर लेता है उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है यानी उसे दोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता। लिंगपुराण कई कई ग्रंथों में भी इस स्थान का महत्व बताया गया है।


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