इस साल शरद पूर्णिमा बेहद खास होगी। सोमवार, 6 अक्टूबर की रात को चंद्रमा अपनी पूरी शक्ति पर होगा। अगली सुबह चांदनी में खीर बनाकर खाने से न केवल सौभाग्य की प्राप्ति होती है, बल्कि बीमारियों से मुक्ति और देवी लक्ष्मी की कृपा भी मिलती है।
शरद पूर्णिमा का पर्व हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्णतः शक्तिशाली होता है और अपनी किरणों से अमृत वर्षा करता है। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को लोग चांदनी में खीर रखते हैं और अगली सुबह उसका सेवन करते हैं। इस खीर को अमृत के समान माना जाता है। कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांदनी में खीर खाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
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शरद पूर्णिमा क्यों है खास
इस वर्ष की शरद पूर्णिमा बेहद खास होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार शरद पूर्णिमा पर लाभ उन्नति मुहूर्त और वृद्धि योग रहेगा। ये शुभ मुहूर्त चौघड़िया मुहूर्त में पड़ेंगे। साथ ही भाद्रपद नक्षत्र का शुभ संयोग भी बन रहा है। ज्योतिषियों का मानना है कि शरद पूर्णिमा पर ऐसा दुर्लभ संयोग कई वर्षों बाद बन रहा है।
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शरद पूर्णिमा कब है, जानिए शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष आश्विन पूर्णिमा सोमवार, 6 अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे शुरू होगी और अगले दिन, 7 अक्टूबर को सुबह 9:16 बजे समाप्त होगी। इसलिए, शरद पूर्णिमा पर्व सोमवार, 6 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
इस वर्ष शरद पूर्णिमा पर खीर को चांदनी में रखने का बहुत ही शुभ मुहूर्त रहेगा। द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार लाभ-उन्नति मुहूर्त 6 अक्टूबर को रात 10:37 बजे से रात 12:09 बजे तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में खीर को चांदनी में रखना और अगली सुबह उसका सेवन करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
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शरद पूर्णिमा पर कौन से योग बन रहें
इस वर्ष शरद पूर्णिमा वृद्धि योग के साथ मनाई जाएगी। वृद्धि योग सुबह से शुरू होकर दोपहर 1:14 बजे तक रहेगा। यदि आप शरद पूर्णिमा के दिन दिन में पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान या कोई भी शुभ कार्य करना चाहते हैं, तो यह समय सबसे उपयुक्त रहेगा।