Dussehra 2024: विजयादशमी यानी दशहरे पर देश भर में रावण के पुतलों का दहन किया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में एक गांव ऐसा भी है जहां रावण की पूजा की परंपरा है, यहां रावण की आरती भी की जाती है।
Dussehra 2024: हर साल शारदीय नवरात्रि के बाद विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 12 अक्टूबर, शनिवार को मनाया जाएगा। ये पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, इसलिए इस दिन रावण के पुतलों का दहन किया जाता है। लेकिन महाराष्ट्र में एक जगह ऐसी भी है, जहां दशहरे पर रावण की पूजा और महाआरती की जाती है। ये जगह है अकोला जिले का संगोला गांव। यहां हर साल दशहरे पर रावण की पूजा और महाआरती करने की परंपरा है। खास बात ये है कि यहां रावण की एक प्राचीन प्रतिमा भी है, जो काले पत्थर से बनी है।
कितने सालों से जारी है ये परंपरा?
संगोला गांव के लोग कहते हैं कि हमारे गांव में लगभग 300 सालों से दशहरे के मौके पर रावण की पूजा-आरती करने की परंपरा है। ये परंपरा किसने और क्यों शुरू की, इसके बारे में किसी को भी ज्यादा जानकारी नहीं है। रावण ब्राह्मण परिवार से था और महाविद्वान भी था, शायद इसीलिए हमारे पूर्वजों ने दशहरे पर इस परंपरा की शुरूआत की। खास बात ये है कि यहां रावण के साथ-साथ भगवान श्रीराम की पूजा भी होती है।
ये है रावण की आरती (Ravan ki Aarti Lyrics In Hindi)
आरती कीजे दशानन जी की। लंकापति श्री रावण जी की।।
जाके बल से त्रिलोक डरता ।सुमिरो जो भूखा न मरता।।
कैकसी पुत्र महाबल दायी। बना दे जो पर्वत को रायी।।
संतो को सदा तुमने मारा। पृथ्वी का कुछ बोच उतारा।।
बहन की नाक का बदला लीन्हा। सीता को अगवा कर दीन्हा।।
राम ने धमकी कई भिजवाई। तुमने सबकी सब ठुकराई।।
सीता की खोज में वानर आया। पूत तुम्हारा पकड़ उसे लाया।।
तेल में उसकी पूछ जलाई। फिर पीछे से आग लगाई।।
वानर बोमा बचाए हलका। उछल कूद में जल गयी लंका।।
फिर भी तुम हिम्मत नही हारी। लंका इक दिन में बना दारी।।
बिचड़ा पुत प्राणों को देके। फिर भी न युद्ध में घुटने टेके।।
राम की सेना में आगे आयो। कितनो को तुम मार गिरायो।।
भ्राता ने जब गद्दारी दिखाई। वीरगति तब तुमने पाई।।
ये भी पढ़ें-
Myth Busters: रावण को क्यों कहते हैं ब्राह्मण, कैसे बना लंका का राजा?
कहीं निकालते रावण की शवयात्रा, कहीं मारते गोली, जानें दशहरे की रोचक परंपराएं
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।