12 अक्टूबर, शनिवार को दशहरा है। ये दिन रावण की मृत्यु के रूप में याद रखा जाता है। रावण से जुड़े अनेक मिथ प्रचलित हैं। आगे जानें रावण से जुड़े मिथ और उनसे जुड़ी सच्चाई…
रावण वैसे तो असुरों का राजा था लेकिन वास्तव में वह एक ब्राह्मण था क्योंकि उसके पिता ऋषि विश्रवा थे, जो ब्रह्मदेव के पोते थे। इस हिसाब से रावण सचमुच में एक ब्राह्मण ही था।
कहते हैं रावण की भक्ति से खुश होकर महादेव ने उसे सोने की लंका दी थी, ये बात पूरी तरह से गलत है। रावण ने सोने की लंका अपने बड़े भाई कुबेरदेव को हरा कर जीती थी।
कहते हैं कि रावण कभी किसी से नहीं हारा। जबकि ये पूरा सच नहीं है। रावण को पाताल लोक के राजा बलि, महिष्मति के राजा कार्तवीर्य अर्जुन और वानरराज बालि ने हराया था।
कहते हैं कि रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा का बदला लेने के लिए सीता का हरण किया था। ये बात भी गलत है। शूर्पणखा के मुख से सीता की सुंदरता की बात सुनकर रावण ने ऐसा किया था।
मान्यता है कि रामेश्वर शिवलिंग की स्थापना रावण ने करवाई थी, ये सच नहीं है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, रावण का वध करने के बाद श्रीराम ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी।