धृतराष्ट्र अंधे क्यों थे, युद्ध के बाद इनका क्या हुआ, कैसे हुई दर्दनाक मौत?

Interesting facts about Mahabharata: धृतराष्ट्र महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक थे। ये जन्म से ही अंधें थे। राजा पांडु की मृत्यु के बाद इन्हें हस्तिनापुर का राजा बनाया गया। इनसे जुड़ी कईं ऐसी बातें हैं जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है।

 

Manish Meharele | Published : Sep 26, 2024 5:29 AM IST

Interesting facts about Dhritarashtra: महाभारत में बताए गए हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र का नाम अधिकांश लोगों ने सुना है। ये बहुत बलशाली थे, लेकिन जन्म से ही अंधे थे। इनकी पत्नी का नाम गांधारी था और दुर्योधन सहित इनके 100 पुत्र थे। धृतराष्ट्र से जुड़ी ऐसी कईं बातें हैं जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है जैसे युद्ध के बाद उनका क्या हुआ। धृतराष्ट्र की मृत्यु कैसे हुई आदि। आगे जानिए राजा धृतराष्ट्र से जुड़ी अनसुनी बातें…

जन्म से ही अंधें क्यों थे धृतराष्ट्र?
महाभारत के अनुसार, राजा शांतनु के बाद वीचित्रवीर्य हस्तिनापुर के राजा बने। इनका विवाह अंबिका और अंबालिका से हुआ। विवाह के कुछ दिनों बाद ही राजा वीचित्रवीर्य की मृत्यु हो गई, जिसके कारण हस्तिनापुर के राजसिंहासन खाली हो गया। उस समय राजमाता सत्यवती ने महर्षि वेदव्यास को बुलाया। जब अंबिका महर्षि वेदव्यास के पास गई तो उनके भयानक रूप को देखकर उसने आंखें बंद कर दी। इसी वजह से अंबिका की संतान यानी धृतराष्ट्र अंधे पैदा हुए।

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भीम को मारने की क्या योजना बनाई?
युद्ध जीतने के बाद जब पांडव हस्तिनापुर में धृतराष्ट्र से मिलने गए तो उस समय वे बहुत क्रोध में थे। उन्होंने भीम को गले मिलने के लिए बुलाया। तब श्रीकृष्ण ने भीम के स्थान पर उनकी लोहे की प्रतिमा को आगे कर दिया। धृतराष्ट्र ने अपनी पूरी शक्ति लगाकर उस प्रतिमा को दबाया, जिससे उसके टुकड़े-टुकड़े हो गए। दरअसल धृतराष्ट्र भीम की हत्या करना चाहते, लेकिन श्रीकृष्ण उनकी ये चाल समझ गए थे। बाद में क्रोध शांत होने पर उन्होंने पांडवों को क्षमा कर दिया।

युद्ध के बाद कितने साल रहे हस्तिनापुर में?
महाभारत के अनुसार, युद्ध के बाद युधिष्ठिर राजा बने, उन्होंने धृतराष्ट्र की खूब सेवा की और युयुत्सु, संजय आदि को हमेशा उनके साथ रहने के लिए कहा। पांडव, कुंती और सभी धृतराष्ट्र का बहुत सम्मान करते थे, लेकिन भीम उनके प्रति द्वेष रखते थे। भीम बार-बार उन्हें कटु वचन बोलकर अपमानित करते रहते थे। युद्ध के 15 साल तक धृतराष्ट्र हस्तिनापुर में ही रहे। इसके बाद वे वन में रहने चले गए। उनके साथ विदुर, कुंती, गांधारी और संजय भी वन में चले गए।

कैसे हुई धृतराष्ट्र की मृत्यु?
महाभारत के अनुसार, हस्तिनापुर से जाने के बाद लगभग 3 साल तक धृतराष्ट्र वन में ही रहे। एक दिन जब धृतराष्ट्र, कुंती और गांधारी गंगा स्नान कर अपने आश्रम में लौट रहे थे, उसी समय वन में भयानक आग लग गई। तपस्या करने के कारण वे तीनों ही बहुत कमजोर हो गए थे। इस स्थिति में भाग भी नहीं सकते थे। तब उन तीनों ने उसी आग में प्राण त्यागने का विचार किया और वहीं एकाग्रचित्त होकर वहीं बैठ गए। इस तरह धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती की मृत्यु हुई। ये बात देवर्षि नारद ने जाकर युधिष्ठिर को बताई, जिसे सुनकर पांडव बहुत दुखी हुए।


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इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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