Unique Temple: कहां होती है हनुमानजी की उल्टी प्रतिमा की पूजा? बहुत रोचक है इस मूर्ति की कथा

Published : Jun 09, 2025, 10:35 AM IST
sanwer ulta hanuman temple

सार

unique temples of india: मध्य प्रदेश के इंदौर के पास सांवेर में हनुमानजी का एक अनोखा मंदिर हैं। यहां हनुमानजी की उल्टी प्रतिमा की पूजा की जाती है यानी इस मूर्ति का सिर नीचे और पैर ऊपर की ओर है। इस प्रतिमा से जुड़ी कथा भी बहुत रोचक है।

Ulte Hanuman Temple Indore: देश भर में हनुमानजी के लाखों मंदिर हैं, इन सभी में हनुमानजी की सीधी प्रतिमा की पूजा की जाती है। लेकिन मध्य प्रदेश के एक शहर में हनुमानजी का एक अनोखा मंदिर है जहां हनुमानजी की उल्टी प्रतिमा स्थापित है। इस प्रतिमा का सिर नीचे की ओर तथा पैर ऊपर हैं। इसलिए इन्हें उल्टे हनुमान भी कहा जाता है। पूरे देश में हनुमानजी के ऐसी प्रतिमा अन्य कहीं देखने को नहीं मिलेगी। इस प्रतिमा से जुड़ी रोचक कथा भी है। जानें इस मंदिर से जुड़ी रोचक बातें…

कहां है उल्टे हनुमान का मंदिर?

मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर उज्जैन मार्ग पर सांवेर नामक एक कस्बा है। यहीं उल्टे हनुमान का मंदिर हैं जहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में 3 या 5 मंगलवार लगातार आकर हनुमानजी के दर्शन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसलिए लोग इस प्रतिमा को चमत्कारी मानते हैं।

क्या है मंदिर का इतिहास?

सांवेर के उल्टे हनुमान मंदिर के इतिहास की जानकारी किसी को नहीं है। लोग इस प्रतिमा को स्वयंभू मानते हैं। यानी ये प्रतिमा यहां कैसे आई, ये किसी को नहीं पता। जब लोगों ने यहां भगवान की प्रतिमा को देखा तो मंदिर का निर्माण करवा दिया। धीरे-धीरे इस मंदिर ने बड़ा स्वरूप ले लिया। प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को यहां विशेष आयोजन किए जाते हैं।

क्या है उल्टे हनुमान मंदिर से जुड़ी रोचक कथा?

इस प्रतिमा से जुड़ी एक प्रचलित कथा है, उसके अनुसार, त्रेतायुग में जब राम-रावण युद्ध चल रहा था, उस समय पाताल का राजा अहिरावण श्रीराम और लक्ष्मण को छल से पाताल लोक ले गया था। जब ये बात हनुमानजी को पता चली तो वे श्रीराम की रक्षा के लिए पाताल लोक जाने के तैयार हो गए। मान्यता है कि सांवेर का ये मंदिर ही वो स्थान है, जहां से हनुमानजी ने पाताल में प्रवेश किया था। जिस समय हनुमानजी ने पाताल में प्रवेश किया और समय उनका सिर नीचे और पैर ऊपर थे। उसी स्वरूप में आज भी यहां हनुमानजी की पूजा की जाती है।


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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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