अनोखा मंदिर: जहां होती राक्षसी की पूजा, कभी देते थे पशु बलि, महाभारत काल का है इतिहास

Published : May 28, 2025, 10:42 AM IST
hidimba temple himachal pradesh

सार

Unique Temple of India: हमारे देश में देवी-देवताओं के तो अनेक मंदिर हैं लेकिन हिमाचल प्रदेश में एक मंदिर ऐसा भी है जहां एक राक्षसी की पूजा की जाती है। खास बात ये है कि इस राक्षसी का संबंध महाभारत काल से है।

Hidimba Temple Manali Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में अनेक प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर हैं। ऐसा ही एक मंदिर मनाली के डूंगरी वन विवाह में भी है। ये मंदिर किसी देवी या देवता का नहीं एक राक्षसी का है। ये राक्षसी और कोई नहीं बल्कि पांडु पुत्र भीम की पत्नी हिडिंबा का है। महाबली घटोत्कच हिडिंबा के ही पुत्र थे, जिन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्ध में बड़े-बड़े योद्धाओं को मार गिराया था। आगे जानिए हिडिंबा के इस मंदिर से जुड़ी रोचक बातें…

कभी यहां दी जाती थी पशुओं की बलि

देवी हिडिंबा का ये मंदिर बहुत ही प्राचीन है। देवी हिडिंबा का मनाली की अधिष्ठात्री देवी कहा जाता है। डूंगरी गांव में होने से देवी हिडिंबा के इस मंदिर को डूंगरी देवी मंदिर भी कहते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में कभी जानवरों की बलि दी जाती थी, लेकिन बाद में ये परंपरा बंद हो गई। आज भी मंदिर की दीवारों पर सैकड़ों जानवरों के सींग लटके हुए हैं जो यहां दी जाने पशु बलि का प्रमाण हैं।

कैसा है देवी हिडिंबा के मंदिर का स्वरूप?

इस मंदिर में देवी हिडिंबा की मूर्ति नहीं बल्कि पदचिह्नों की पूजा की जाती है। वैसे तो ये मंदिर काफी प्राचीन है लेकिन वर्तमान में जो स्ट्रक्चर यहां दिखाई देता है, उसका निर्माण सन 1553 में राजा बहादुर सिंह ने करवाया था, मंदिर के प्रवेश द्वार पर इससे संबंधित शिलालेख भी मिलता है। मंदिर का निर्माण काठकोणी शैली में किया गया है। मंदिर की छत तीन परतों की है तथा इसका शिखर पीतल से बना शुंडाकार का है।

कौन थी हिडिंबा, कैसे हुआ भीम से विवाह?

महाभारत के अनुसार, हिडिंबा अपने भाई हिडिंब के साथ वन में रहती थी। वनवास के दौरान भीम ने हिडिंब का वध कर दिया। भीम की वीरता देख हिडिंबा ने प्रभावित होकर उनसे विवाह कर लिया। हिडिंबा और भीम के मिलन से घटोत्कच का जन्म हुआ। कुरुक्षेत्र में हुए युद्ध के दौरान घटोत्कच कर्ण के हाथों मारा गया। बाद हिंडिबा ने इसी स्थान पर आकर तपस्या की। इसलिए इसी स्थान पर हिडिंबा को देवी को रूप में पूजा जाता है।


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