Unique temples: कहां है दुर्योधन का मंदिर, जहां होती है उनकी गदा की पूजा, लगाया जाता है खास भोग?

Published : May 27, 2025, 05:34 PM IST
Duryodhan temple

सार

Unique temples Of India:महाभारत के सबसे बड़े विलेन कहे जाने वाले दुर्योधन के बारे में हम सभी जानते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि केरल में दुर्योधन का एक विशाल मंदिर भी है। यहां दुर्योधन की मूर्ति नहीं बल्कि उनकी गदा की पूजा करने की परंपरा है।

Duryodhana Temple in Kerala: हम सभी महाभारत के सबसे बड़े खलनायक दुर्योधन के बारे में जानते हैं। दुर्योधन की क्रोध और अंहकार के कारण ही कौरव और पांडवों में युद्ध हुआ जिसमें करोड़ों योद्धा मारे गए। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि केरल में दुर्योधन का एक भव्य और विशाल मंदिर है, जहां उनकी गदा की पूजा की जाती है। खास बात ये है कि यहां मंदिर के नाम पर जो जमीन है, उसका सरकारी टैक्स भी दुर्योधन के नाम पर ही जमा किया जाता है। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी रोचक बातें…

कहां है दुर्योधन का मंदिर?

दुर्योधन का विशाल और अनोखा मंदिर केरल के कोल्लम जिले में है। दुर्योधन के इस मंदिर का नाम पोरुवाझी पेरुविरुथी मलानाडा है। यहां दुर्योधन की मूर्ति नहीं बल्कि उनके सबसे प्रिय शस्त्र गदा की पूजा की जाती है। गांव के लोग दुर्योधन को अपूपा कहकर सम्मान देते हैं, जिसका अर्थ है दादाजी। यहां के स्थानीय लोग दुर्योधन को रक्षक और दयालु देवता के रूप में पूजते हैं।

दुर्योधन को लगाते हैं खास चीज का भोग

इस मंदिर में दुर्योधन को ताड़ी (एक प्रकार की शराब) का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से दुर्योधन देवता प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर इच्छा पूरी करते हैं। दुर्योधन के इस मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। खास बात ये है कि यहां दुर्योधन के नाम पर जमीन भी सरकारी रिकार्ड में दर्ज है और इसका टैक्स भी दिया जाता है। दुर्योधन देवता के नाम पर इस मंदिर की 15 एकड़ जमीन है जिसमें से 8 एकड़ में धान की खेती होती है और बाकी जंगल है।

क्या है इस मंदिर का इतिहास?

प्रचलित कथा के अनुसार, द्वापर युग एक बार दुर्योधन इस स्थान से गुजर रहे थे, तब उन्हें प्यास लगी लेकिन उस समय यहां आस-पास उन्हें कहीं भी पानी नहीं मिला। दुर्योधन को यहां एक दलित महिला दिखाई दी, उसके पास ताड़ी थी। महिला ने दुर्योधन को वह ताड़ी पीने को दी। खुश होकर दुर्योधन ने उस महिला को आशीर्वाद दिया, साथ ही गांव की थोड़ी जमीन भी उसे दान कर दी। बाद में उसी जमीन पर गांव वालों ने दुर्योधन का मंदिर बना दिया।


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