Utpanna Ekadashi 2025: किन लोगों के लिए शुभ है एकादशी व्रत, इस दिन न करें ये काम

Published : Nov 12, 2025, 09:48 PM IST
Utpanna Ekadashi 2025

सार

उत्पन्ना एकादशी 2025 में 15 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन देवी एकादशी का जन्म हुआ था। व्रत करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन चावल खाना, तामसिक भोजन करना, क्रोध करना और बाल कटवाना वर्जित है। 

Utpanna Ekadashi Vrat Rules: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी वह दिन है जब भगवान विष्णु के आदेश पर देवी एकादशी प्रकट हुई थीं। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने राक्षस मुर का वध करके देवताओं की रक्षा की थी। इसलिए इस दिन व्रत करने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है। यह एकादशी उन लोगों के लिए विशेष रूप से शुभ मानी जाती है जो मोक्ष, पापों से मुक्ति और सुख-समृद्धि चाहते हैं। आइए जानें उत्पन्ना एकादशी पर कौन से कार्य वर्जित हैं।

उत्पन्ना एकादशी 2025 कब है? (Utpanna Ekadashi 2025 Kab Hai)

पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि शनिवार, 15 नवंबर को प्रातः 12:49 बजे प्रारंभ होगी। एकादशी तिथि अगले दिन, रविवार, 16 नवंबर को प्रातः 2:37 बजे समाप्त होगी। चूंकि एकादशी तिथि 15 नवंबर को सूर्योदय से शुरू हो रही है, इसलिए उत्पन्ना एकादशी का व्रत शनिवार, 15 नवंबर को रखा जाएगा।

उत्पन्ना एकादशी व्रत के दौरान न करें ये 5 गलतियां

चावल खाना

एकादशी पर सबसे आम गलती चावल खाना है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाना पाप माना जाता है। शास्त्रों में एकादशी के दिन अन्न त्यागने का निर्देश दिया गया है। इसके बजाय, आप फल, दूध या सात्विक खाद्य पदार्थ जैसे कुट्टू, सिंघाड़ा और साबूदाना खा सकते हैं।

तामसिक भोजन खाना

व्रत से एक दिन पहले, यानी दशमी तिथि से द्वादशी तक, लहसुन, प्याज, मांसाहारी भोजन और शराब जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों का सेवन सख्त वर्जित है। ये चीजें व्रत की पवित्रता को भंग करती हैं। व्रत के दिन इन चीजों का सेवन करने से व्रत का फल नष्ट हो जाता है।

ब्रह्मचर्य का पालन न करना और क्रोध करना

एकादशी के दिन शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध रहना आवश्यक है। इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त, व्रत के दिन किसी से झगड़ा, क्रोध, बुरे विचार या नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए। मन को शांत रखना चाहिए और केवल भगवान विष्णु का नाम जपना चाहिए।

बाल और नाखून काटना

उत्पन्ना एकादशी के दिन बाल, नाखून काटना या दाढ़ी बनाना अशुभ माना जाता है। ये सभी कार्य एकादशी व्रत के नियमों के विरुद्ध हैं और इसकी पवित्रता को कम करते हैं। व्रत के दिन केवल स्नान और सात्विक दिनचर्या पर ध्यान दें।

सही समय पर व्रत न तोड़ना

व्रत रखने जितना ही महत्वपूर्ण है, सही समय पर व्रत तोड़ना भी। एकादशी का व्रत आमतौर पर अगले दिन, यानी द्वादशी तिथि को तोड़ा जाता है। इसलिए, हमेशा पंचांग देखने और व्रत तोड़ने का शुभ समय जानने के बाद ही व्रत तोड़ना चाहिए।

उत्पन्ना एकादशी का महत्व

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी दिन देवी एकादशी का जन्म हुआ था और उन्होंने राक्षस मुर का वध करके भगवान विष्णु की रक्षा की थी। इसलिए इस एकादशी को अत्यंत शुभ माना जाता है।

Disclaimer: इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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