
Vinayak Chaturthi September 2025: हिंदू धर्म में भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए अनेक व्रत किए जाते हैं, विनायक चतुर्थी भी इनमें से एक है। ये व्रत हर महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को करने की परंपरा है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश के साथ-साथ चंद्रमा की पूजा भी की जाती है। सितंबर 2025 में चतुर्थी तिथि का संयोग 2 दिन बन रहा है, जिसके चलते लोगों के मन में ये संशय है कि ये व्रत किस दिन करें। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी से जानें सितंबर 2025 में विनायक चतुर्थी व्रत की सही डेट…
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पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 25 सितंबर, गुरुवार की सुबह 07 बजकर 06 मिनिट से शुरू होगी जो 26 सितंबर, शुक्रवार की सुबह 09 बजकर 33 मिनिट तक रहेगी। चूंकि चतुर्थी तिथि का चंद्रोदय 25 सितंबर को होगा, इसलिए इसी दिन विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। इस दिन सुस्थिर और वर्धमान नाम के 2 शुभ योग दिन भर रहेंगे।
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विनायक चतुर्थी व्रत में श्रीगणेश के बाद चंद्रमा की पूजा करने की परंपरा भी है। इसके बाद ही ये व्रत संपूर्ण होता है। 25 सितंबर, गुरुवार को चंद्रमा रात 08 बजकर 50 मिनिट पर उदय होगा। अलग-अलग शहरों में चंद्रोदय के समय में आंशिक परिवर्तन आ सकता है।
25 सितंबर, गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और व्रत-पूजा का संकल्प भी जरूर लें। इस दिन कुछ भी खाएं नहीं। अगर ऐसा करना संभव हो तो एक समय फलाहार कर सकते हैं या दूध पी सकते हैं। शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा एक साफ स्थान पर स्थापित करें। श्रीगणेश को कुंकुम से तिलक करें, फूलों की माला पहनाएं। दीपक जलाएं। अबीर, गुलाल, कुंकुम, चावल, इत्र, सुपारी, जनेऊ, दूर्वा आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं। पूजा करते समय ऊं गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करते रहें। अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं और आरती करें। चंद्रमा उदय होने पर जल चढ़ाएं और फूल-चावल, कुमकुम से पूजा करें। इसके बाद प्रसाद खा कर व्रत पूर्ण करें और फिर भोजन करें। इस व्रत से आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा
लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।