Shardiya Navratri 2025: इस बार शारदीय नवरात्रि 22 मार्च, सोमवार से शुरू हो चुकी है। नवरात्रि के 9 दिनों में रोज अलग-अलग देवियों की पूजा की परंपरा है। जानें कौन-सी हैं ये 9 देवियां और इनके मंत्र।
Navratri ki 9 Deviya Kon Si Hai: हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस पार ये पर्व 22 सितंबर से 1 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। चतुर्थी तिथि दो दिन होने से इस बार शारदीय नवरात्रि 10 दिनों की रहेगी। नवरात्रि में रोज देवी के अलग-अलग 9 रूपों की पूजा की जाती है। ये 9 देवियां कौन-सी हैं, इनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। आगे जानें नवरात्रि की 9 देवियों और उनके मंत्रों के बारे में…
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नवरात्रि के पहले दिन किस देवी की पूजा करें?
नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि यानी पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा की जाती है। हिमालय की पुत्री होने से देवी का ये नाम पड़ा। ये है देवी शैलपुत्री का मंत्र-
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राद्र्वकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥
अर्थ- मैं उस देवी की पूजा करता हूं, जो मनचाहे फल प्रदान करती हैं, जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र सुशोभित है। ये देवी बैल पर सवार हैंस जो अत्यंत यशस्वी हैं और जिनकी ख्याति फैली हुई है।
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नवरात्रि के दूसरे दिन की देवी कौन हैं?
शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन देवी मां ब्रह्मचारिणी की उपासना करने की परंपरा है। ये देवी स्त्री के ब्रह्मचर्य का प्रतीक हैं। ये है इनका मंत्र-
दधना करपद्याभ्यांक्षमालाकमण्डलू।
देवीप्रसीदतु मयी ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
अर्थ- नव दुर्गा में दूसरी देवी हैं मां ब्रह्मचारिणी। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप दिव्य है। मां के दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल है। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा से हर सुख मिलता है।
शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन की देवी का क्या नाम है?
नवरात्रि के तीसरे दिन की देवी हैं मां चंद्रघंटा। इनके माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसलिए इनका ये नाम है। इनका मंत्र है-
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्रयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
अर्थ- देवी चंद्रघंटा स्वर्ण के समान है। इनके दस हाथों में शस्त्र आदि हैं। इनकी सवारी सिंह है। ये देवी युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। इनके घंटे की भयानक ध्वनि से दानव, दैत्य सभी डरते हैं।
नवरात्रि के चौथे दिन किस देवी की पूजा करें?
शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन देवी के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। इनका मंत्र ये है-
सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।
दधानाहस्तपद्याभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
अर्थ- जो देवी मदिरा से भरे हुए घड़े को और रक्त से सने हुए कलशों को धारण करती हैं और जिनके दोनों हाथ कमल के समान हैं, वह कूष्माण्डा देवी मेरे लिए शुभ हों।
नवरात्रि के पांचवें दिन की देवी कौन-सी हैं?
नवरात्रि के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। ये देवी भगवान कार्तिकेय स्वामी की माता हैं। इनका मंत्र है-
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
अर्थ- जो देवी स्कंदमाता सिंह के आसन पर विराजमान हैं, जिनके दोनों हाथों में कमल के फूल हैं, और जो यशस्विनी हैं, वे मुझे शुभ फल प्रदान करें।
नवरात्रि के छठे दिन किसकी पूजा करें?
नवरात्रि की छठी देवी मां कात्यायनी हैं। ये ऋषि कात्यायन की पुत्री हैं, इसलिए इनका ये नाम पड़ा। इनका मंत्र है-
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानवद्यातिनी।।
अर्थ- चन्द्रहास नामक तलवार से हाथ जिनके उज्ज्वल हैं, सिंह जिनका वाहन है, ऐसी दानव-संहारकारिणी देवी कात्यायनी मेरे सभी कष्ट दूर करें और शुभ फल प्रदान करें।
नवरात्रि के सातवें दिन की देवी कौन हैं?
शारदीय नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर देवी कालरात्रि की पूजा की परंपरा है। इनका स्वरूप अत्यंत काला और भयानक है। इनका मंत्र है-
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।
वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
अर्थात: जो देवी एक चोटी वाली, जपा पुष्प के रंग के कान वाली, नग्न, लम्बे होंठों वाली, तेल से सने शरीर वाली और बाएं पैर पर लोहे की लता व कांटे धारण करने वाली हैं। वो कृष्णा कालरात्रि भयंकर हैं और उनका रंग काला है, लेकिन वे शुभ फल देने वाली हैं।
नवरात्रि के आठवें दिन की देवी का क्या नाम है?
नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर देवी मां महागौरी की पूजा करनी चाहिए। इनका मंत्र है-
श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
अर्थ- सफेद बैल पर सवार और सफेद वस्त्र धारण करने वाली, जो शुद्ध और उज्ज्वल हैं, माँ महागौरी कल्याण) प्रदान करें और महादेव को आनंदित करें।
नवरात्रि के अंतिम दिन किस देवी की पूजा करनी चाहिए?
नवरात्रि के अंतिम यानी नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा क विधान है। ये हैं इनका मंत्र-
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
अर्थ- जो सिद्धों, गंधर्वों, यक्षों, असुरों और देवताओं द्वारा भी पूजनीय हैं और जो सिद्धियों व अलौकिक शक्तियों को प्रदान करने वाली हैं, उन देवी माँ सिद्धिदात्री की कृपा से मेरा कल्याण हो।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
