Surya Grahan 2025: साल का अंतिम सूर्य ग्रहण कब, क्या ये भारत में दिखेगा? जानें सूतक का समय

Published : Jun 25, 2025, 01:06 PM IST
Surya Grahan 2025 details

सार

Surya Grahan 2025: सूर्य व चंद्र ग्रहण वैसे तो खगोलीय घटनाएं हैं लेकिन भारत में से धर्म और ज्योतिष से जोड़कर देखा जाता है। इसलिए यहां इनसे जुड़ी कईं मान्यताएं प्रचलित हैं। जानें साल 2025 का अंतिम सूर्य ग्रहण कब होगा? 

Surya Grahan 2025 Date: एक साल में 1 या 2 बार सूर्य ग्रहण होते हैं। इनमें से कुछ भारत में दिखाई देते हैं और कुछ नहीं। साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण मार्च में हो चुका है। अगला सूर्य ग्रहण सितंबर में होने जा रहा है। इसे लेकर सभी के मन में तरह-तरह के सवाल हैं जैसे- क्या है सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा, इसका समय क्या रहेगा, इसका सूतक मान्य होगा की नहीं? आगे जानिए आपके इन्हीं सवालों का जवाब…

कब होगा 2025 का अंतिम सूर्य ग्रहण? (Kab hoga 2025 Ka Antim Surya grahan)

ज्योतिषियों और वैज्ञानिकों के अनुसार, साल 2025 का अंतिम सूर्य ग्रहण 21 सितंबर, रविवार को होगा। ये खण्डग्रास सूर्य ग्रहण होगा, इसे आंशिक सूर्य ग्रहण भी कहते हैं। इसमें चंद्रमा सूर्य के एक हिस्से को ही ढकता है।

क्या रहेगा सूर्यग्रहण का समय? (Surya grahan 2025 Time)

भारतीय समय के अनुसार 21 सितंबर को होने वाला सूर्य ग्रहण रात 11 बजे से शुरू होगा, जो देर रात 3 बजकर 24 मिनिट तक रहेगा। ये सूर्य ग्रहण न्यूजीलैंड, पश्चिम अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में, पूर्वी मेलोनेशिया आदि स्थानों पर दिखाई देगा।

क्या भारत में दिखाई देगा 2025 का अंतिम सूर्य ग्रहण? (Kya Bharat Mai Dikhai Dega Surya grahan)

ज्योतिषियों के अनुसार 21 सितंबर को होने वाला सूर्य ग्रहण भारत में कहीं भी दिखाई नहीं देगा, जिसके चलते यहां इसका सूतक मान्य नहीं होगा। जिन देशों में ये सूर्य ग्रहण दिखाई देगा, सिर्फ वहीं इसका सूतक माना जाएगा।

21 सितंबर सूर्य ग्रहण सूतक टाइमिंग (Surya grahan 2025 Sutak Time)

जिन देशों में सूर्य ग्रहण दिखाई देगा, वहां इसका सूतक 12 घंटे पहले से शुरू हो जाएगा जो ग्रहण के साथ ही समाप्त होगा। भारतीय समय के अनुसार, इस सूर्य ग्रहण का सूतक 21 सितंबर की सुबह 11 बजे से शुरू हो जाएगा।

सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर ग्रहण का संयोग (Surya Grahan 2025 Sanyog)

पंचांग के अनुसार, 21 सितंबर, रविवार को आश्विन मास की अमावस्या तिथि रहेगी, जिसे पितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं। इस अमावस्या का धर्म ग्रंथों में विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन सूर्य ग्रहण का संयोग बहुत ही दुर्लभ होता है।

क्यों होता है सूर्य ग्रहण? (Kyo Hota Hai Surya Grahan)

खगोल शास्त्रियों के अनुसार, चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है और पृथ्वी सूर्य की। इस दौरान कईं बार चंद्रमा घूमते हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है तो पृथ्वी से सूर्य का प्रकाश वाला भाग दिखाई नहीं देता और चंद्रमा की परछाई दिखाई देने लगती है। इसी स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं।

Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

 

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