Astro Fact: सोमवार के बाद मंगलवार ही क्यों, कैसे तय हुआ सप्ताह के दिनों का नाम?

Published : Oct 24, 2025, 04:01 PM IST
Astro Fact

सार

Astro Fact: सप्ताह का पहला दिन सोमवार होता है और इसके बाद मंगलवार आता है। इस तरह सप्ताह के सातों दिनों का नाम निश्चित है। बहुत कम लोग जानते हैं सप्ताह के इन सातों दिनों का नाम किस आधार पर रखा गया है।

हम बचपन से ही जानते हैं कि सप्ताह में 7 दिन होते हैं। इनमें से पहला दिन सोमवार, दूसरा मंगलवार, तीसरा बुधवार, चौथा गुरुवार, पांचवां, शुक्ववार, छठा शनिवार और सातवां व अंतिम रविवार होता है। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि सप्ताह के इन दिनों के नाम कैसे तय हुए? आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि सप्ताह के इन 7 दिनों के नाम अथर्ववेद के एक श्लोक के आधार पर तय किए गए हैं।

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अथर्ववेद में लिखा है श्लोक

सप्ताह में पहले दिन का नाम क्या है और दूसरे दिन का नाम क्या? इसका रहस्य अथर्ववेद के एक श्लोक में छिपा है। अथर्व वेद के एक श्लोक के अनुसार-
आदित्य: सोमो भौमश्च तथा बुध बृहस्पति:।
भार्गव: शनैश्चरश्चैव एते सप्त दिनाधिपा:।।
अर्थ- आदित्य, सोमो, भौम, बुध, बृहस्पति, भार्गव: और शनैश्चर ये सप्ताह के सात दिन होते हैं। इसी श्लोक के आधार पर हमारे विद्वानों ने सप्ताह के दिनों के नाम तय किए हैं।

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यहां समझिए पूरा गणित

ऊपर बताए गए श्लोक में आदित्य का अर्थ है सूर्य, जिसका वार है रविवार, सोमो का अर्थ है चंद्रमा यानी सोमवार, भौम का अर्थ है मंगल यानी मंगलवार, बुध के बाद है बृहस्पति यानी गुरुवार, भार्गव यानी शुक्र से बना शुक्रवार और सबसे अंत में शनैश्चर यानि शनिवार। इस तरह एक ही श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के नाम हमारे पूर्वजों ने पहले ही तय कर दिए थे।

सोमवार के बाद मंगलवार ही क्यों?

ज्योतिष शास्त्र की मानें तो एक दिन यानी 24 घंटे में 24 होरा होती है। हर होरा पर एक विशे ग्रह का प्रभाव होता है। दिन की पहली होरा का जो स्वामी होता है, उसी के आधार पर उस दिन का नाम रखा गया है जैसे रविवार की पहले होरा का स्वामी सूर्य होता है, उसी तरह सोमवार की पहले होरा का स्वामी चंद्रमा और मंगलवार की पहली होरा का स्वामी मंगल होता है। इस तरह सप्ताह के वारों का नामकरण किया गया है।

नवग्रह मंत्र में लिखा है वारों का क्रम

धर्म ग्रंथों में नवग्रह की शांति के लिए एक मंत्र बताया लिखा है। इसमें भी वारों का क्रम स्पष्ट जान पड़ता है- ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी, भानु: (सूर्य) शशि (चंद्र) भूमि सुतो (मंगल) बुधश्च (बुध), गुरुश्च (गुरु) शुक्र शनि राहु केतव, सर्वे ग्रहा शांति करा भवन्तु।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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