विकसित भारत रोजगार योजना 2025: क्या है VB-G RAM G Bill, जानिए मनरेगा से कितना अलग?

Published : Dec 15, 2025, 04:53 PM IST
MGNREGA vs VB G RAM G Scheme

सार

Viksit Bharat Rozgar Bill 2025: सरकार मनरेगा की जगह नया ग्रामीण रोजगार कानून लाने की तैयारी में है। जानिए विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) बिल 2025 क्या है, इसमें रोजगार की गारंटी कैसे मिलेगी। मनरेगा से यह योजना कैसे अलग है।

VB G RAM G Bill 2025: ग्रामीण भारत के लिए केंद्र सरकार एक ऐतिहासिक बदलाव करने जा रही है। करीब 20 साल से चल रही मनरेगा योजना को हटाकर सरकार एक नया ग्रामीण रोजगार कानून लाने की तैयारी में है। इस नए कानून का नाम है विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G RAM G Bill 2025। सरकार का कहना है कि यह बदलाव सिर्फ नाम का नहीं, बल्कि सोच और सिस्टम दोनों का है, ताकि ग्रामीण रोजगार को विकसित भारत 2047 के लक्ष्य से जोड़ा जा सके। जानिए VB G RAM G Bill 2025 क्या है और इससे क्या फायदा होगा?

क्या है VB–G RAM G कानून?

विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) एक नया और आधुनिक ग्रामीण रोजगार कानून होगा। इसके तहत सरकार हर ग्रामीण परिवार को, जो काम करना चाहता है, 125 दिन का मजदूरी वाला रोजगार देने की कानूनी गारंटी देगी। सरकार का फोकस अब सिर्फ अस्थायी काम देने पर नहीं रहेगा, बल्कि गांवों में ऐसे काम कराए जाएंगे जिनसे लंबे समय तक फायदा हो। यानी रोजगार के साथ-साथ मजबूत ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार किया जाएगा।

विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार स्कीम में किन कामों को मिलेगी प्राथमिकता?

नए कानून में काम को चार साफ-साफ हिस्सों में बांटा गया है ताकि पैसा सही जगह खर्च हो। पहला, जल सुरक्षा से जुड़े काम होंगे, जैसे तालाब, जल संरक्षण, सिंचाई और भूजल सुधार। दूसरा, मुख्य ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, जिसमें सड़क, संपर्क मार्ग और बुनियादी सुविधाएं शामिल होंगी। तीसरा, आजीविका से जुड़े निर्माण, जैसे गोदाम, बाजार और उत्पादन से जुड़े ढांचे। चौथा, मौसम और आपदा से निपटने वाले काम, ताकि बाढ़, सूखा और मिट्टी कटाव से गांवों को बचाया जा सके। इन सभी कामों को एक राष्ट्रीय डिजिटल सिस्टम में जोड़ा जाएगा, जिससे निगरानी और प्लानिंग आसान होगी।

MGNREGA से कैसे अलग है नया रोजगार गारंटी कानून?

मनरेगा में काम की गारंटी 100 दिन की थी, जिसे अब बढ़ाकर 125 दिन किया जा रहा है। पहले काम बिखरे हुए होते थे और किसी बड़ी योजना से जुड़े नहीं होते थे, लेकिन नए कानून में काम स्पष्ट योजना और लक्ष्य के साथ होंगे। अब हर गांव खुद अपना विकसित ग्राम पंचायत प्लान बनाएगा, जिसे राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं से जोड़ा जाएगा। इससे खर्च और काम दोनों में जवाबदेही बढ़ेगी।

VB-G RAM G से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कैसे मिलेगा फायदा?

इस कानून से गांवों में सिर्फ रोजगार नहीं बढ़ेगा, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। जल संरक्षण से खेती को फायदा मिलेगा, सड़क और कनेक्टिविटी से बाजार तक पहुंच आसान होगी। आजीविका से जुड़े ढांचों से लोगों को खेती के अलावा भी कमाई के मौके मिलेंगे। जब गांव में ज्यादा पैसा आएगा, तो खर्च बढ़ेगा और पलायन कम होगा। नए कानून में खेती के सीजन को ध्यान में रखा गया है। राज्य सरकारें बोवाई और कटाई के समय सरकारी काम रोक सकेंगी, ताकि मजदूर खेतों में उपलब्ध रहें। इससे मजदूरी अचानक नहीं बढ़ेगी और किसानों की लागत नियंत्रित रहेगी। साथ ही जल, सिंचाई और स्टोरेज से जुड़ी संपत्तियां सीधे किसानों को फायदा देंगी।

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VB–G RAM G से मजदूरों को क्या फायदा मिलेगा?

ग्रामीण मजदूरों को अब 25% ज्यादा रोजगार मिलेगा। काम पहले से प्लान किया जाएगा, जिससे मजदूरों को पता होगा कि कब और कहां काम मिलेगा। भुगतान पूरी तरह डिजिटल होगा, जिससे मजदूरी में कटौती या घोटाले की गुंजाइश कम होगी। अगर समय पर काम नहीं मिला, तो बेरोजगारी भत्ता देना अनिवार्य होगा।

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MGNREGA को बदलने की जरूरत क्यों पड़ी?

सरकार का कहना है कि 2005 के बाद ग्रामीण भारत काफी बदल चुका है। गरीबी में बड़ी गिरावट आई है, डिजिटल भुगतान आम हो गया है और गांवों में आजीविका के नए साधन आए हैं। ऐसे में MGNREGA का पुराना ढांचा आज की जरूरतों से मेल नहीं खा रहा था। वहीं सरकारी जांच में कई राज्यों में फर्जी काम, नियमों का उल्लंघन और पैसे की गड़बड़ी सामने आई। डिजिटल हाजिरी को बायपास किया गया और मशीनों से काम कर मजदूरी दिखाई गई। 2024–25 में करीब 193 करोड़ रुपए की गड़बड़ी पकड़ी गई। बहुत कम परिवार ही पूरे 100 दिन का काम कर पाए।

नए जॉब गारंटी कानून से पारदर्शिता कैसे बढ़ेगी?

नए कानून में तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल होगा। AI से धोखाधड़ी पकड़ी जाएगी, GPS और मोबाइल से काम की निगरानी होगी। हर पंचायत में साल में दो बार सोशल ऑडिट अनिवार्य होगा। काम और खर्च की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। अब यह योजना केंद्र प्रायोजित योजना होगी। सामान्य राज्यों में खर्च 60:40 के अनुपात में होगा। पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों को ज्यादा केंद्रीय मदद मिलेगी। सरकार का दावा है कि इससे राज्यों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।

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Anita Tanvi

अनीता तन्वी। मीडिया जगत में 15 साल से ज्यादा का अनुभव। मौजूदा समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर एजुकेशन सेगमेंट संभाल रही हैं। इन्होंने जुलाई 2010 में मीडिया इंडस्ट्री में कदम रखा और अपने करियर की शुरुआत प्रभात खबर से की। पहले 6 सालों में, प्रभात खबर, न्यूज विंग और दैनिक भास्कर जैसे प्रमुख प्रिंट मीडिया संस्थानों में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय, ह्यूमन एंगल और फीचर रिपोर्टिंग पर काम किया। इसके बाद, डिजिटल मीडिया की दिशा में कदम बढ़ाया। इन्हें प्रभात खबर.कॉम में एजुकेशन-जॉब/करियर सेक्शन के साथ-साथ, लाइफस्टाइल, हेल्थ और रीलिजन सेक्शन को भी लीड करने का अनुभव है। इसके अलावा, फोकस और हमारा टीवी चैनलों में इंटरव्यू और न्यूज एंकर के तौर पर भी काम किया है।Read More...
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