karva chauth 2022: करवा चौथ पर उच्च राशि का चंद्रमा, 2 राज योग देंगे शुभ फल, 46 साल बाद बनेगा ये योग

karva chauth 2022: इस बार 13 अक्टूबर, गुरुवार को करवा चौथ का पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व का महिलाओं को विशेष रूप से इंतजार रहता है। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते ये पर्व और भी खास हो गया है। 

 

Manish Meharele | Published : Oct 12, 2022 2:33 AM IST

उज्जैन. करवा चौथ (karva chauth 2022) हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाय जाता है। इस बार ये पर्व 13 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन एक नहीं कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, इस बार करवा चौथ (Karva Chauth 2022 Shubh Yoga) गुरुवार को रहेगी और इस दौरान गुरु अपनी स्वराशि यानी मीन में रहेगा। ऐसा शुभ योग इसके पहले 23 अक्टूबर 1975 को बना था यानी 26 साल पहले। गुरु ग्रह वैवाहिक जीवन को सीधे तौर पर प्रभावित करता है। इसलिए इस बार करवा चौथ पर गुरु का प्रभाव ज्यादा रहेगा। 

शुभ रहेगी ग्रहों की स्थिति
ज्योतिषाचार्य डॉ. मिश्र के अनुसार, इस बार करवा चौथ पर चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ और प्रिय नक्षत्र रोहिणी में रहेगा। बुध भी अपनी उच्च राशि कन्या में रहेगा। साथ ही गुरु मीन राशि में और शनि मकर राशि में रहेंगे, जो इनकी स्वराशि है। मंगल ग्रह स्वयं के नक्षत्र में रहेगा। इस तरह ये पांच ग्रह अपनी राशि या अपने नक्षत्र में होने से अद्भुत शुभ योग बना रहे हैं। ग्रहों की इस स्थिति से बुधादित्य और महालक्ष्मी योग भी रहेगा। 

चंद्रमा का रोहिणी में होना विशेष शुभ
धर्म ग्रंथों के अनुसार, 27 नक्षत्र ही चंद्रमा की पत्नियां हैं। चंद्रमा एक महीने में इन सभी नक्षत्रों के साथ संयोग करता हुआ आगे बढ़ता है। इन 27 में से एक नक्षत्र रोहिणी भी है, जिसे चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी कहा जाता है। जब चंद्रमा वृषभ राशि में होते हुए रोहिणी नक्षत्र से संयोग करता है सबसे अधिक शुभ फल प्रदान करता है। देखा जाए तो रोहिणी नक्षत्र में होते हुए चंद्रमा अपनी सबसे प्रिय पत्नी के साथ होता है। इस स्थिति में की गई चंद्रमा की पूजा वैवाहिक जीवन को और अधिक खुशहाल बनाती है।

करवा चौथ का लाइफ मैनेजमेंट
हिंदू धर्म में अनेक ऐसे त्योहार आते हैं जो हमें रिश्तों की गहराइयों तथा उसके अर्थ से परिचित करवाते हैं। करवा चौथ भी उन्हीं त्योहारों में से एक है। यह त्योहार पति-पत्नी के अमर प्रेम तथा पत्नी का अपने पति के प्रति समर्पण का प्रतीक है। भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर की संज्ञा दी गई है। करवा चौथ का व्रत रख पत्नी अपने पति के प्रति यही भाव प्रदर्शित करती है। स्त्रियां श्रृंगार करके ईश्वर के समक्ष दिनभर के व्रत के बाद यह प्रण भी लेती हैं कि वे मन, वचन एवं कर्म से पति के प्रति पूर्ण समर्पण की भावना रखेंगी। यही इस पर्व की विशेषता है।



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